सार
जोधपुर/ओसियां. राजस्थान का एक मंदिर ऐसा है, जहां पूजा-पाठ के लिए सिर्फ श्रद्धा ही नहीं, बल्कि सालों की प्रतीक्षा भी करनी होती है। जोधपुर जिले के ओसियां गांव में स्थित सच्चियाय माता मंदिर में यदि कोई भक्त यजमान बनकर हवन या पूजन करना चाहता है, तो उसे 16 साल तक इंतजार करना पड़ता है। और यदि यह अवसर शारदीय नवरात्रि के दौरान चाहिए, तो फिर इंतजार और भी लंबा–पूरे 27 साल का हो जाता है!
क्या है इस मंदिर की खासियत?
ओसियां गांव की ऊंची पहाड़ी पर स्थित सच्चियाय माता मंदिर करीब 3000 साल पुराना माना जाता है। यहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं। मान्यता है कि जो भी यहां सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।
पूजा के लिए क्यों करनी पड़ती है लंबी वेटिंग?
मंदिर ट्रस्ट के सदस्य ओमप्रकाश शर्मा बताते हैं कि सामान्य दिनों में यजमान बनने के लिए 16 साल पहले रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। लेकिन शारदीय नवरात्रि जैसे विशेष अवसरों के लिए 27 साल पहले की बुकिंग जरूरी होती है। मंदिर में पूजा कराने की फीस 6.50 लाख रुपये है, जिसमें एक रसीद व बुकिंग स्लिप दी जाती है, और उसी के अनुसार तिथि तय होती है।
इतनी वेटिंग के बावजूद भी क्यों है लोगों में उत्साह?
मंदिर में आस्था इस हद तक है कि लोग अपनी अगली पीढ़ियों के लिए भी बुकिंग करवा रहे हैं। कुछ परिवार तो 10-15 साल पहले बुकिंग करवा चुके हैं, और आज उनकी संतानें यजमान बन रही हैं। पूजा कराने वाले लोग खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं और मान्यता है कि माता की विशेष कृपा उन्हें प्राप्त होती है।
ओसियां: थार के बीच बसे चमत्कारी धाम की कहानी
ओसियां गांव कभी थार रेगिस्तान का व्यापारिक केंद्र रहा है। यहां कई ऐतिहासिक जैन व हिंदू मंदिर हैं, लेकिन सच्चियाय माता मंदिर इन सबमें विशेष है। यहां का वातावरण, स्थापत्य और भक्ति का भाव, इसे एक अलग ही दिव्यता प्रदान करता है।