सार
भरतपुर. देशभर में आज होलिका दहन का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। होली के पर्व की बात हो और राजस्थान के डीग जिले के गांठोली गांव का जिक्र न हो, ऐसा कभी हो ही नहीं सकता। इस गांव को भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की होली स्थल कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने पहली बार राधा और अपने ग्वाल बालों के साथ यही होली खेली थी।
कैसे गांव का नाम पड़ा गांठोली, क्या है राधा-कृष्ण का कनेक्शन
होली के पर्व पर यहां के लोग प्राचीन सरोवर में आज भी होली की रस्म निभाते हैं। गांव के पंडित प्रेमी शर्मा बताते हैं कि एक बार श्री कृष्ण अपने साथियों के साथ गांव में विहार कर रहे थे। इसी दौरान खेलते खेलते वह अचानक थक गए और पेड़ की छांव में विश्राम करने लगे। तब उनके साथियों ने एक दिव्य लीला रची। जिन्होंने राधा रानी और कृष्ण के कपड़ों में गुप्त रूप से गांठ बांध दी। जब दोनों उठे तो देखा कि दोनों एक दूसरे से बंधे हुए हैं। इस वजह से ही इस गांव का नाम गांठोली पड़ गया।
टेसू के फूलों से खेली गई थी पहली होली जो पूरे भारत में प्रसिद्ध हई
मान्यता है कि यहां गांव के सरोवर के पास वृक्ष की पत्तियों को पीसकर हरे रंग और टेसू के फूलों से रंग बनाकर राधा रानी और श्री कृष्ण ने होली खेली थी। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने इसी गांव से होली खेलने की परंपरा की शुरुआत की थी। जो पूरे भारत में प्रसिद्ध हो गई थी।
आज भी यहां होली खेलने आते हैं श्री कृष्ण और राधा
- गांव के लोगों का मानना है कि आज भी भगवान श्री कृष्ण और राधा यहां अदृश्य रूप से होली खेलते हैं। कई भक्त बताते हैं कि यहां बने सरोवर के किनारे हवाओं में अलौकिक खुशबू महसूस होती है। अब होली के पर्व पर गांव के सभी लोग इस जगह एकत्रित होकर होली खेलेंगे।
- गांव के लोग यहां पर केवल होली ही नहीं खेलते बल्कि अपने-अपने घरों से होली पर बनने वाले पकवान जैसे गुंजिया सहित अन्य व्यंजन लेकर आते हैं। होली खेलने के बाद सभी लोग एक साथ बैठकर उन व्यंजनों का स्वाद चखते हैं।