Fathers day 2025 Success Story : कैंची धार देने वाले पिता के बेटे ने ₹50 करोड़ की एजुकेशन कंपनी खड़ी की। लीड्सगुरु के संस्थापक अजय सिंह की सफलता की कहानी, पिता के त्याग और कड़ी मेहनत का नतीजा।
Fathers day 2025 Success Story : राजस्थान के नागौर जिले के मकराना कस्बे से निकलकर 23 साल के युवा अजय सिंह ने जो कर दिखाया है, वह हजारों युवाओं के लिए एक मिसाल बन गया है। एक ओर उनका पिता पवन सिंह आज भी एक छोटे से किराए की दुकान में कैंचियों को धार देने का काम करते हैं, वहीं दूसरी ओर बेटा अजय "लीड्सगुरु" नाम की 50 करोड़ की एजुकेशन टेक कंपनी चला रहा है।
पिता के संघर्ष और दूरदर्शिता से बेटे ने कर दिया कमाल
इस कहानी में सिर्फ आर्थिक संघर्ष नहीं, बल्कि एक पिता की दूरदर्शिता, त्याग और बेटे की मेहनत शामिल है। पवन सिंह ने अपनी जिंदगी मेहनत और ईमानदारी से काटी। 16 साल की उम्र से उन्होंने कैंचियों में धार देने का काम शुरू किया था। उनकी पूरी जिंदगी किराए के मकानों और गर्मी से तपती दुकान में बीती, लेकिन उन्होंने कभी शिकायत नहीं की। उनका सपना था—बेटे को उस मुकाम पर पहुंचाना, जहां तक वो खुद नहीं पहुंच सके।
‘लीड्सगुरु’ बनने का विचार ऐसे आया
अजय बताते हैं कि उनके पिता ने हमेशा यही कहा कि "अगर कुछ शुरू करो तो उसे पूरा करो, असफलता से डरो मत।" इसी सोच ने उन्हें जयपुर जाकर कुछ बड़ा करने की हिम्मत दी। वहां उन्होंने महसूस किया कि युवाओं में स्किल्स की भारी कमी है, और यहीं से ‘लीड्सगुरु’ का विचार जन्मा। 2020 में शुरू की गई इस ऑनलाइन स्किल-डवलपमेंट कंपनी ने आज तक 1.5 लाख से अधिक छात्रों को रोजगार योग्य स्किल्स सिखाई हैं। 25 से अधिक लोग कंपनी में काम कर रहे हैं और अजय सिंह उन्हें लीड कर रहे हैं। खास बात यह है कि इस कंपनी के संचालन में अजय की बहन भावना भी मैनेजिंग डायरेक्टर के रूप में जुड़ी हुई हैं।
कड़ी मेहनत करने वाले पिता को बेटे ने हार नहीं मानने दिया
अजय खुद मानते हैं कि उनके पिता की तपती गर्मी में मशीन के सामने बैठकर काम करने की मेहनत ने उन्हें कभी हार नहीं मानने दिया। यही कारण है कि आज भी जब पवन सिंह जयपुर उनके ऑफिस आते हैं, तो पूरी टीम को यही बताते हैं कि "मेरे बेटे ने यह सब मेरी मेहनत से सीखा है।"
सच्ची मेहनत की अनोखी मिसाल
यह कहानी सिर्फ एक स्टार्टअप सक्सेस नहीं, बल्कि जड़ों से जुड़े रहने और मेहनत की ताकत की सच्ची मिसाल है। अजय सिंह की यह यात्रा साबित करती है कि सीमित साधनों में भी अगर सोच बड़ी हो और इरादे मजबूत हों, तो कोई भी सपना हकीकत में बदला जा सकता है। यदि आप भी कुछ बड़ा करने की सोच रहे हैं, तो यह कहानी आपको बताती है — सपनों की ऊंचाई पिता की चाकू धार मशीन की चिंगारी से भी शुरू हो सकती है।