special story on Fathers Day 2025 : जयपुर के सुनील ने पत्नी के गुजरने के बाद अपने बेटे प्रिंस की परवरिश अकेले की। ऑटो चलाकर जीवनयापन करते हुए, सुनील बेटे के लिए मां और बाप दोनों बने, उनकी कहानी हर पिता के लिए प्रेरणा है।
special story on Fathers Day 2025 : जयपुर की सड़कों पर दौड़ता एक ऑटो, जिसमें आगे एक पिता और पीछे उसकी गोद में बैठा मासूम बच्चा—ये सिर्फ एक दृश्य नहीं, बल्कि फादर्स डे पर दिल को छू लेने वाली एक सच्ची कहानी है। 25 वर्षीय सुनील, अपनी जान से प्यारे बेटे 'प्रिंस' के लिए मां भी बने और बाप भी। सुनील की ज़िंदगी तब पूरी तरह बदल गई जब उनके चार महीने के बेटे की मां माया अचानक इस दुनिया से चली गई। रात को खाना खाकर सोए थे, सुबह माया की आंखें नहीं खुलीं। डॉक्टर ने बताया—माया अब नहीं रही। उस दिन से सुनील ने ठान लिया कि बेटे को कभी मां की कमी महसूस नहीं होने देंगे।
पिता की गोद ही बनी प्रिंस की दुनिया
सुनील रोज़ सुबह प्रिंस के लिए तेल मालिश करते हैं, फिर नहलाते हैं, तैयार करते हैं और दूध की दो बोतल लेकर ऑटो चलाने निकल जाते हैं। कभी ढाबे पर रुककर दूध गर्म करते हैं तो कभी चलते ऑटो में उसे सुलाते हैं। कई बार ग्राहक नाराज़ भी होते हैं, लेकिन सुनील कहते हैं, "प्रिंस को अकेला छोड़ना मेरे बस की बात नहीं।"
"शुरुआत में मजबूरी थी, अब आदत और खुशी है"
"शुरुआत में मजबूरी थी, अब आदत और खुशी है" लोगों ने सलाह दी कि दूसरी शादी कर लो, इतने छोटे बच्चे को नहीं संभाल पाओगे। लेकिन सुनील मुस्कुराते हुए कहते हैं, "मेरे बेटे की हंसी ही मेरी ताकत है। वो मेरी थकान मिटा देता है।"
हर पिता के लिए प्रेरणा सुनील की यह कहानी
सिर्फ त्याग की नहीं, बल्कि उस अटूट प्रेम की है, जो हर पिता के दिल में अपने बच्चों के लिए होता है। फादर्स डे पर यह कहानी हमें याद दिलाती है कि मां का प्यार अनमोल होता है, लेकिन जब हालात मजबूर करें, तो एक पिता भी मां बन जाता है।