Shikshit Rajasthan Abhiyan: राजस्थान सरकार का 'मुख्यमंत्री शिक्षित राजस्थान अभियान' घर-घर जाकर बच्चों का स्कूलों में नामांकन कर रहा है। डिजिटल माध्यम से चल रहा यह अभियान शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है।

Rajasthan CM education initiative: राजस्थान में शिक्षा की पहुंच को जन-जन तक सुनिश्चित करने और हर बच्चे को स्कूल से जोड़ने के लिए राज्य सरकार ने ‘मुख्यमंत्री शिक्षित राजस्थान अभियान’ की शुरुआत की है। यह अभियान न केवल स्कूल ड्रॉपआउट्स को फिर से शिक्षा की मुख्यधारा में लाने के लिए बना है, बल्कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति, पंजीकरण और भागीदारी को भी बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। डिजिटल प्लेटफॉर्म के ज़रिए चलाया जा रहा यह प्रवेशोत्सव अब घर-घर दस्तक देकर बदलाव की कहानी लिख रहा है।

पहला चरण पूरा, अब दूसरे चरण की बारी

इस अभियान का पहला चरण 15 अप्रैल से 16 मई तक राज्य भर में सफलतापूर्वक संपन्न हो चुका है। अब दूसरा चरण 1 जुलाई से 24 जुलाई तक चलेगा, जिसमें हर सरकारी स्कूल के शिक्षक अपने-अपने क्षेत्र में घर-घर जाकर हाउसहोल्ड सर्वे करेंगे। इस सर्वे के जरिए 3 से 18 वर्ष तक के बच्चों की पहचान की जाएगी और शिक्षक ऐप के माध्यम से उनका डिजिटल नामांकन किया जाएगा।

किस पर रहेगी विशेष नजर?

अभियान के दौरान उन बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा जो अब तक स्कूलों से अनामांकित हैं, किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ चुके हैं, बाल श्रम से मुक्त हुए हैं या प्रवासी मज़दूरों के बच्चे हैं। साथ ही, आंगनबाड़ी से स्कूल की ओर जाने वाले बच्चों को भी इस अभियान में जोड़ा जाएगा। शिक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने साथ स्कूल की उपलब्धियों के ब्रोशर, बोर्ड परीक्षा के नतीजे, स्कूल में उपलब्ध सुविधाओं और पुराने विद्यार्थियों की उपलब्धियां भी घरों तक ले जाएं ताकि अभिभावकों में सरकारी स्कूलों के प्रति विश्वास बढ़े।

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सरकारी बनाम निजी स्कूलों का अंतर समझाना जरूरी

आज जहां निजी स्कूल अप्रैल में ही नया सत्र शुरू कर देते हैं, वहीं सरकारी स्कूलों में मई तक वार्षिक परीक्षाएं चलती हैं और सत्र जुलाई में शुरू होता है। साथ ही, निजी स्कूलों में फीस के बावजूद सुविधाएं अपेक्षाकृत अधिक होती हैं, जिसके चलते कई अभिभावक बच्चों को वहां भेजना पसंद करते हैं। ऐसे में सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों की रुचि घटती जा रही है। लेकिन सच्चाई यह है कि सरकार हर बच्चे पर हज़ारों रुपये खर्च कर उन्हें मुफ़्त शिक्षा, पुस्तकें, पोषाहार और यूनिफॉर्म जैसी सुविधाएं देती है। अभियान का मकसद इस अंतर को समझाकर अधिक से अधिक बच्चों को सरकारी स्कूलों में जोड़ना है।

हर शनिवार होगी साप्ताहिक मॉनिटरिंग

प्रवेशोत्सव की सख्त निगरानी के लिए प्रत्येक शनिवार को पीईईओ (प्रधान ब्लॉक शिक्षा अधिकारी) अपने अधीनस्थ सभी विद्यालयों से यह रिपोर्ट लेंगे कि उनके क्षेत्र में कितने बच्चे अनामांकित हैं, कितने ड्रॉपआउट हैं और कितनों का नामांकन हो चुका है। इसके साथ ही, स्कूल में प्रवेश लेने वाले हर नए छात्र का स्वागत उत्सव के रूप में किया जाएगा ताकि उनका मनोबल बढ़े और वे नियमित रूप से स्कूल आना शुरू करें।

डिजिटल प्लेटफॉर्म से बदल रही है शिक्षा की तस्वीर

इस पूरे अभियान को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया है ताकि किसी भी बच्चे का डेटा छूट न जाए। शिक्षक ऐप के माध्यम से रीयल टाइम डेटा इकट्ठा किया जा रहा है, जिससे बच्चों की संख्या, स्थिति और स्कूल में उपस्थिति का आंकलन किया जा सकेगा। इससे न केवल नीति निर्माताओं को सटीक जानकारी मिलेगी, बल्कि प्रत्येक बच्चे तक पहुंचना भी संभव हो सकेगा।

शिक्षा के अधिकार को ज़मीन पर उतारने की पहल

मुख्यमंत्री शिक्षित राजस्थान अभियान सिर्फ एक सरकारी पहल नहीं, बल्कि यह हर बच्चे के शिक्षा के अधिकार को वास्तविकता में बदलने की कोशिश है। यदि यह अभियान अपने उद्देश्य में सफल होता है तो राजस्थान न केवल नामांकन के मामले में अग्रणी बनेगा, बल्कि यह शिक्षा की गुणवत्ता और भागीदारी के मामले में भी मिसाल पेश करेगा।

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