Mahamandir Police Station case  : जोधपुर में पुलिस थाने द्वारा 30 साल से निजी ज़मीन पर कब्ज़े का मामला। हाईकोर्ट ने सरकार को मुआवज़ा देने या ज़मीन वापस करने का आदेश दिया, अगली सुनवाई में अधिकारियों की पेशी संभव।

Mahamandir Police Station case : राजस्थान हाईकोर्ट में चल रही एक याचिका की सुनवाई के दौरान चौंकाने वाला मामला सामने आया है। महामंदिर थाना परिसर में पिछले करीब 30 वर्षों से पुलिस विभाग द्वारा 300 वर्गगज निजी ज़मीन पर अवैध कब्जा किए जाने का मामला उजागर हुआ है। अदालत ने इसे भारतीय संविधान में प्रदत्त संपत्ति के अधिकार का घोर उल्लंघन मानते हुए राज्य सरकार को अंतिम चेतावनी जारी की है।

कलेक्टर और एसपी अब होंगे पेश

हाईकोर्ट की एकल पीठ ने राज्य सरकार से साफ कहा है कि या तो जमीन का अधिग्रहण करें और मुआवजा दें, या जमीन मूल मालिक को वापस लौटाएं। ऐसा नहीं करने पर अगली सुनवाई में जोधपुर के जिला कलेक्टर और पुलिस आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होना होगा।

जानिए याचिकाकर्ता ने दी क्या दलील

याचिकाकर्ता गौतम गहलोत ने अदालत को बताया कि महामंदिर क्षेत्र में स्थित उसकी 1290 वर्गगज भूमि में से अधिकांश हिस्से का अधिग्रहण किया गया था, लेकिन 300 वर्गगज जमीन पर बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के पुलिस ने 1996 से कब्जा कर रखा है। इस संबंध में उन्होंने कई बार प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र लिखे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए

अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह स्पष्ट रूप से बताए कि वे कितनी अवधि में भूमि का वर्तमान बाजार मूल्य अदा करेंगे या अधिग्रहण प्रक्रिया कब तक पूरी की जाएगी। साथ ही यह भी बताना होगा कि क्या वे उस जमीन को तत्काल वापस देने को तैयार हैं या नहीं।

शासन व्यवस्था की पारदर्शिता का मामला

यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की ज़मीन का नहीं, बल्कि शासन व्यवस्था की पारदर्शिता और कानून के सम्मान का भी सवाल बन चुका है। कोर्ट का रुख साफ है—कानून सबके लिए बराबर है, चाहे वह नागरिक हो या पुलिस विभाग।