bundi shocking news : राजस्थान के बूंदी जिले में मानवता को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई है। जहां बीमार तेंदुए के साथ लोगों ने की अमानवीयता की हदें पार की। कुत्ते की तरह उसे गले में रस्सी डालकर घुमाया, सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल है।
bundi shocking news : दुबई नहीं यह राजस्थान है। सोशल मीडिया पर अक्सर आपने देखा होगा दुबई के कुछ वीडियो में शेर , चीते फालतू की तरह रखे जाते हैं और रस्सी से बांधकर घुमाए जाते हैं। इसी तरह का मामला राजस्थान के बूंदी जिले में मानवता को शर्मसार करने वाली एक घटना सामने आई है। रामपुरिया गांव के पास फूल सागर झील के किनारे सोमवार को एक बीमार तेंदुआ दिखाई दिया, जिसे देखकर गांव वालों की भीड़ जमा हो गई। लेकिन इस तेंदुए के साथ जो व्यवहार किया गया, उसने वन्यजीव संरक्षण पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बूंदी में बीमार तेंदुए के साथ अमानवीय व्यवहार
बीमार तेंदुआ एक पेड़ के नीचे चुपचाप बैठा हुआ था, शायद मदद की उम्मीद में। कुछ लोगों ने उसे पानी देने की कोशिश की, लेकिन वहीं कुछ युवकों ने उसकी हालत का मज़ाक बनाना शुरू कर दिया। उन्होंने तेंदुए की पूंछ पकड़ी, जबरन छूने की कोशिश की, और गले में रस्सी डालकर उसे गांव में घुमाया। कई लोगों ने उसके साथ सेल्फी भी ली। यह पूरा घटनाक्रम मोबाइल कैमरों में रिकॉर्ड हो गया और अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
बूंदी से क्यों कोटा चिड़ियाघर भेजा गया तेंदुआ?
रामगढ़ विशधारी अभयारण्य के रेंजर सुमित कनोजिया ने बताया कि तेंदुआ एक मादा है जिसकी उम्र करीब ढाई साल है। उसकी हालत काफी गंभीर थी, लेकिन शरीर पर कोई बाहरी चोट नहीं मिली। संदेह है कि किसी जहरीले जीव या दूषित मांस के सेवन से वह बीमार पड़ी हो। बूंदी में इलाज की सुविधा न होने के कारण उसे कोटा चिड़ियाघर भेजा गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद अब उसकी स्थिति में सुधार है।
वीडियो के आधार पर दोषियों की पहचान
वन विभाग ने इस घटना को गंभीरता से लिया है। वीडियो के आधार पर दोषियों की पहचान की जा रही है। रेंजर कनोजिया ने स्पष्ट किया कि वन्यजीव अधिनियम के तहत तेंदुए जैसे संरक्षित जानवर के साथ इस तरह की हरकत गैरकानूनी है और इसके लिए सख्त सजा का प्रावधान है।
रामगढ़ अभयारण्य के पास की है यह घटना
यह घटना रामगढ़ अभयारण्य के पास हुई है, जहां हाल के वर्षों में तेंदुओं की संख्या बढ़ी है। विशेषज्ञों का कहना है कि वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास के पास मानव गतिविधियों में नियंत्रण न होने से ऐसी घटनाएं और बढ़ सकती हैं। अब यह जरूरी हो गया है कि स्थानीय लोगों को वन्यजीवों के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएं और संवेदनशील क्षेत्रों को प्रतिबंधित घोषित किया जाए।