Bharatpur labour death: 10 फीट नीचे मिट्टी में दबी ज़िंदगी! भरतपुर में पाइपलाइन की खुदाई बना मौत का जाल, एक ही परिवार के 10 लोग दबे, 4 की मौके पर मौत… क्या थी चंबल परियोजना की असली लापरवाही?

Bharatpur pipeline accident: राजस्थान के भरतपुर जिले में रविवार की सुबह एक दर्दनाक हादसे में 4 लोगों की जान चली गई, जब चंबल परियोजना की पाइपलाइन बिछाने के दौरान मिट्टी ढहने से 12 मजदूर दब गए। हादसा उस वक्त हुआ जब सभी मजदूर गहरे गड्ढे में काम कर रहे थे और अचानक मिट्टी का बड़ा ढेर उनके ऊपर गिर पड़ा।

घटना स्थल: गहनौली थाना क्षेत्र का जंगी का नगला

यह घटना सुबह करीब 8:30 बजे जंगी के नगला गांव के पास हुई। चंबल योजना के तहत पाइपलाइन बिछाने का कार्य चल रहा था और इसके लिए लगभग 10 फीट गहरा गड्ढा खोदा गया था। उसी गड्ढे में मजदूर मिट्टी भर रहे थे, तभी अचानक मिट्टी भरभरा कर गिर पड़ी।

 

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एक ही परिवार पर टूटा कहर, 4 की मौत

प्रशासन के अनुसार, ये सभी मजदूर फतेहपुर सीकरी (यूपी) के उट्टू गांव के रहने वाले हैं और भरतपुर में मजदूरी करने आए थे। हादसे में 22 वर्षीय अनुकूल और 45 वर्षीय विमला देवी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 6 लोगों को गंभीर हालत में आरबीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां एक और महिला एवं एक बालक की मौत हो गई। ये सभी एक ही परिवार के सदस्य या निकट संबंधी थे, जिससे पूरे परिवार पर अचानक आपदा का पहाड़ टूट पड़ा।

राहत कार्य में जुटा प्रशासन, मशीनों से की जा रही खुदाई

  • हादसे की सूचना मिलते ही गहनौली थाना पुलिस, जिला प्रशासन, आपदा प्रबंधन दल और ग्रामीण मौके पर पहुंचे।
  • प्रारंभिक खुदाई मैनुअल की गई, लेकिन बाद में जेसीबी और अन्य मशीनों से भी मलबा हटाया गया।
  • एसडीआरएफ टीम को भी अलर्ट पर रखा गया है।

सुरक्षा मानकों पर उठे सवाल

इस हादसे ने चंबल प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मजदूरों को बिना किसी सुरक्षा इंतजाम के 10 फीट गहरे गड्ढे में काम करने भेजा गया। न तो कोई सपोर्ट वॉल थी, न ही सेफ्टी इंस्पेक्शन। यह लापरवाही सिर्फ मानव जीवन का नुकसान नहीं, बल्कि प्रशासनिक सुस्ती का भी उदाहरण है।

स्थानीय प्रशासन का बयान

भरतपुर जिला प्रशासन ने हादसे की जांच के आदेश दे दिए हैं। पीड़ित परिवारों को आपदा राहत सहायता देने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। घटना के बाद क्षेत्र में सन्नाटा और आक्रोश का माहौल है।

मिट्टी की परतों के नीचे दबा सिस्टम

भरतपुर की यह दुर्घटना केवल मिट्टी का ढेर नहीं गिरा — यह व्यवस्था की गिरावट, सुरक्षा की अनदेखी और निर्माण प्रक्रिया की गैर-जिम्मेदारी को भी उजागर करती है। अब ज़रूरत है कि हर निर्माण साइट पर सुरक्षा प्राथमिकता बने, नहीं तो ऐसे हादसे दोहराए जाते रहेंगे।