सार

पुणे पोर्श केस के आरोपी डॉक्टर अजय टावरे पर अब किडनी रैकेट का साया! जेल में बंद डॉक्टर को 2022 के फर्जी ट्रांसप्लांट मामले में फिर से किया गया गिरफ्तार—पैसों के लालच में मानव अंगों का सौदा या मेडिकल सिस्टम में छिपी कोई बड़ी साजिश?

Pune kidney transplant racket: पुणे के ससून जनरल अस्पताल के पूर्व मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. अजय टावरे को एक बार फिर पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इस बार आरोप है 2022 में एक फर्जी किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट को मंजूरी देने का। टावरे पहले से ही पोर्श कार दुर्घटना के सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप में यरवदा सेंट्रल जेल में बंद हैं।

रूबी हॉल क्लिनिक में हुआ था पूरा ट्रांसप्लांट रैकेट

पुलिस ने बताया कि यह मामला पुणे के प्रमुख निजी अस्पताल रूबी हॉल क्लिनिक का है, जहां 2022 में एक महिला को 15 लाख रुपये में किडनी दान करने के लिए फर्जी पत्नी बनाकर पेश किया गया। इस किडनी अदला-बदली के जरिए दो सर्जरी हुईं, लेकिन बाद में महिला ने पैसे ना मिलने पर खुद को एक्सपोज़ कर दिया।

कैसे सामने आया रैकेट का भंडाफोड़

29 मार्च 2022 को ट्रांसप्लांट सर्जरी के चार दिन बाद जब पैसा नहीं मिला, तो महिला ने सच्चाई उजागर कर दी कि वह मरीज की पत्नी नहीं है। इससे पूरे मेडिकल रैकेट का खुलासा हुआ। पुलिस जांच में सामने आया कि यह पूरी साजिश किडनी खरीद-फरोख्त की थी।

डॉ. अजय टावरे की भूमिका पर बढ़ा शक

2022 में टावरे किडनी ट्रांसप्लांट अथॉरिटी की चेयरमैन कमेटी में थे, जिनके हस्ताक्षर और अनुमोदन से यह प्रक्रिया मंजूर हुई थी। अब पुलिस इसी भूमिका को लेकर उन्हें फिर से पूछताछ और न्यायिक प्रक्रिया में पेश कर रही है।

पोर्श एक्सीडेंट केस में पहले ही हो चुकी है गिरफ्तारी

गौरतलब है कि टावरे वही डॉक्टर हैं, जिनपर पोर्श एक्सीडेंट में आरोपी 17 वर्षीय किशोर के ब्लड सैंपल से छेड़छाड़ करने का भी आरोप है। इसी मामले में वे पहले से यरवदा जेल में बंद थे।

15 लोगों पर पहले ही दर्ज हो चुका है केस

इस मामले में रूबी हॉल क्लिनिक के ट्रस्टी समेत 15 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इनमें डॉक्टर, दलाल, फर्जी रिश्तेदार और अस्पताल प्रशासन शामिल हैं।

किडनी दान में कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?

कोल्हापुर की एक महिला को 15 लाख रुपये देने का लालच देकर उसे पेश किया गया। उसने एक युवती को किडनी दी, और युवती की मां ने बदले में उस महिला को किडनी दी। यह सारा लेन-देन पूरी तरह से अवैध और धोखे पर आधारित था।

पुलिस का बयान और अगली कार्रवाई

डीसीपी निखिल पिंगले ने बताया कि “डॉ. अजय टावरे को किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट मामले में हिरासत में लिया गया है। उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा। पूछताछ जारी है।”

स्वास्थ्य प्रणाली पर उठते गंभीर सवाल

इस तरह की घटनाएं भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाती हैं। जब मेडिकल कमेटी के सदस्य ही रैकेट में शामिल हों, तो आम नागरिक की सुरक्षा और भरोसे का क्या होगा