मुंबई में नाबालिग लड़की का ब्रिटेन के इन्फ्लुएंसर द्वारा व्हाट्सएप ब्लैकमेल! क्या डिजिटल ग्रूमिंग के इस जाल से बच्चे सुरक्षित रह पाएंगे? माता-पिता और पुलिस ने तुरंत कदम उठाया, लेकिन खतरा अब भी मंडरा रहा है।

Mumbai Cyber Crime: दक्षिण मुंबई की एक नाबालिग लड़की हाल ही में एक डरावने ऑनलाइन जाल में फंस गई। मामला शुरू हुआ जब लड़की को ब्रिटेन का एक अज्ञात नंबर (+44) से व्हाट्सएप कॉल आया। शुरुआत में यह मासूम दोस्ती जैसी लगी, लेकिन चार दिनों में यह दोस्ती एक डरावने ब्लैकमेल में बदल गई। आरोपी ने लड़की को अश्लील तस्वीरें भेजने और सोशल मीडिया पर लीक करने की धमकी दी।

कैसे हुआ डिजिटल ग्रूमिंग का जाल?

जेजे मार्ग पुलिस स्टेशन के अधिकारी बताते हैं कि आरोपी ने धीरे-धीरे लड़की का विश्वास जीतकर उसे अपनी बातों में उलझाया। लड़की को महसूस ही नहीं हुआ कि वह जोखिम में है। जैसे ही उसने एक बार तस्वीरें भेज दीं, आरोपी ने उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया और लोक-लाज के डर का इस्तेमाल कर लड़की पर दबाव बनाया। इस पूरी प्रक्रिया में लड़की भावनात्मक रूप से टूट गई और उसके व्यवहार में अचानक बदलाव आ गया।

क्या माता-पिता और स्कूल समय पर समझ पाए?

लड़की के माता-पिता ने उसका मोबाइल चेक किया और पूरी कहानी समझी। तुरंत पुलिस को सूचित किया गया। मामला भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 78(2), पॉक्सो अधिनियम की धारा 11, 12, 15 और आईटी अधिनियम की धारा 67ए के तहत दर्ज किया गया। शुरुआती जाँच में पता चला कि नंबर यूके में पंजीकृत था और आरोपी ने संभवतः वर्चुअल या नकली नंबरों का इस्तेमाल किया।

डिजिटल सुरक्षा: क्या करें और क्या न करें?

क्या करें:

  • बच्चों के ऑनलाइन एक्टिविटी पर नजर रखें।
  • उन्हें ग्रूमिंग, बदमाशी और जबरन वसूली के बारे में समझाएँ।
  • संदिग्ध चैट और संदेश की रिपोर्ट करना सिखाएँ।
  • पैरेंटल कंट्रोल और मॉनिटरिंग टूल्स का उपयोग करें।

क्या न करें:

  • बच्चे को तकनीक में माहिर मानकर उनकी गतिविधियों को अनदेखा न करें।
  • अचानक व्यवहार में बदलाव को नजरअंदाज न करें।
  • डिजिटल सुरक्षा को सिर्फ एक बार की बात न समझें, लगातार संवाद रखें।

क्या हम बच्चों को ऑनलाइन खतरे से बचा सकते हैं?

विशेषज्ञों का कहना है कि ऑनलाइन ग्रूमिंग का यह मामला असामान्य नहीं है। बच्चे अक्सर आकर्षक ऑनलाइन दोस्ती के जाल में फंस जाते हैं। माता-पिता, शिक्षक और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को मिलकर समय पर हस्तक्षेप करना जरूरी है। बच्चों को समझाएँ कि शर्मिंदा होने की कोई जरूरत नहीं, यह उनकी गलती नहीं है।

मिस्ट्री और सच: कब तक रहेगा खतरा?

जैसे सड़क दुर्घटनाएं अचानक होती हैं, वैसे ही डिजिटल खतरे भी अप्रत्याशित होते हैं। बच्चों की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि परिवार और स्कूल एक साथ काम करें। डिजिटल ग्रूमिंग, ऑनलाइन ब्लैकमेल और अश्लील सामग्री का जोखिम बढ़ रहा है।