Maharashtra zoo collapse: छत्रपति संभाजीनगर के सिद्धार्थ चिड़ियाघर में एक शांत शाम मौत में बदल गई, जब गेट की छत भरभराकर गिरी और दो महिलाओं की जान ले गई। क्या ये हादसा था या लापरवाही का खौफनाक नतीजा? अब हर जवाब सवालों में घिरा है…
Aurangabad zoo gate accident: महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) के सिद्धार्थ चिड़ियाघर में बुधवार की शाम छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) के सिद्धार्थ चिड़ियाघर में एक दर्दनाक हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया। जैसे ही आगंतुक एंट्री गेट पर टिकट ले रहे थे, तभी प्रवेश द्वार के ऊपर की छत और दीवार भरभराकर नीचे गिर गई। इस हादसे में दो महिलाओं की मौके पर ही मौत हो गई जबकि कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
सिस्टम की लापरवाही या भाग्य का खेल?
स्थानीय चश्मदीदों का कहना है कि चिड़ियाघर का मुख्य द्वार काफी समय से जर्जर अवस्था में था। कई बार मरम्मत की मांग की गई, लेकिन प्रशासन ने नजरअंदाज कर दिया। हादसे की जगह पर न तो किसी तरह की चेतावनी लगी थी और न ही किसी सुरक्षा उपाय का इंतज़ाम था।
माँ-बेटी के साथ टूटा था वादा… अब बस ताजिए रह गए
मरने वाली महिलाओं में से एक अपने बच्चों के साथ चिड़ियाघर घूमने आई थीं। वो पल, जो उनकी जिंदगी की खूबसूरत याद बनने वाला था, आखिरी साबित हुआ। हादसा इतना भयानक था कि घायल लोगों को तत्काल स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।
ऐसे हादसे पहले भी हो चुके हैं, लेकिन सबक कोई नहीं लेता
यह पहली बार नहीं है जब महाराष्ट्र में इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं। सिर्फ 20 मई को कल्याण के मंगलाघो नगर इलाके में एक चार मंजिला इमारत का स्लैब गिरने से 6 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें एक 2 वर्षीय बच्ची भी शामिल थी। सवाल है कि हादसे होते क्यों हैं? और क्या कोई सजा पाता है?
अब सवाल: जिम्मेदार कौन?
नगर निगम द्वारा संचालित इस संरचना की निगरानी किसके जिम्मे थी? क्या सुरक्षा मानकों का पालन किया गया था? या फिर दीवार टूटने से पहले सिस्टम ही ढह चुका था? अभी तक इस मामले में किसी अधिकारी की जिम्मेदारी तय नहीं की गई है।