सार

सिवनी में सामने आया चौंकाने वाला घोटाला—जिन्हें रिकॉर्ड में 19 बार मरा बताया गया, वह किसान संत कुमार जिंदा निकले! ₹76 लाख उनके नाम पर निकाले गए, उन्हें भनक तक नहीं लगी। 279 बार कागज़ों में हुई मौतें, असल में सिर्फ अफसरों की चाल थी!

MP 11 Crore Corruption: मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से एक ऐसा घोटाला सामने आया है, जिसने सरकारी व्यवस्था और मानवीय सोच दोनों को झकझोर कर रख दिया है। जिले के केवलारी तहसील में 2019 से 2022 के बीच सांप के काटने से हुई मौतों के नाम पर ₹11 करोड़ 26 लाख रुपये का फर्जी मुआवजा घोटाला किया गया।

‘मरा हुआ’ किसान 19 बार जिंदा निकला!

संत कुमार बघेल के नाम पर निकाले गए ₹76 लाख, बोले – मुझे कभी सांप ने काटा ही नहीं! घोटाले का सबसे चौंकाने वाला चेहरा बने 70 वर्षीय किसान संत कुमार बघेल। सरकारी रिकॉर्ड में उन्हें 19 बार सांप के काटने से मरा दिखाया गया, लेकिन असलियत में वह आज भी जीवित और स्वस्थ हैं। संत कुमार का कहना है – "न कभी सांप ने काटा, न ही मुआवजे के बारे में कोई जानकारी थी। अब लोग मुझे शक की निगाह से देख रहे हैं।"

279 बार दिखाया गया ‘काल’ का खेल

47 लोगों के नाम पर दर्ज की गईं फर्जी मौतें, कुछ तो कभी अस्तित्व में थे ही नहीं!  जांच में सामने आया कि केवलारी तहसील में 47 लोगों को 279 बार मृत दिखाया गया। इनमें से कई लोग वास्तव में कभी थे ही नहीं, जैसे कि द्वारकाबाई नामक महिला को 29 बार मरा बताया गया और ₹1.16 करोड़ मुआवजा निकाला गया। वहीं ‘श्री राम’ नामक एक काल्पनिक नाम पर भी 28 बार पैसा हड़पा गया।

मुख्य आरोपी क्लर्क, अधिकारी भी शक के घेरे में

क्लर्क सचिन दहायत ने लॉगिन पासवर्ड का गलत इस्तेमाल कर फर्जीवाड़ा रचा।  जांच में सामने आया कि केवलारी तहसील कार्यालय का क्लर्क सचिन दहायत इस घोटाले का मास्टरमाइंड है। उसने तत्कालीन एसडीएम और चार तहसीलदारों के लॉगिन पासवर्ड का गलत उपयोग कर दस्तावेज़ों में हेराफेरी की। सचिन को बर्खास्त कर जेल भेजा गया, जबकि जांच में 37 आरोपी बनाए गए हैं, जिनमें से 21 गिरफ्तार और बाकी जमानत पर हैं।

3 साल बाद भी रिकवरी शून्य, कार्रवाई अधूरी!

कलेक्टर बोले- अनुशंसा का अध्ययन कर रहे हैं, संत कुमार ने मानहानि का दावा करने की बात कही है। तीन साल बीत जाने के बाद भी अब तक ₹11.26 करोड़ में से एक भी पैसा रिकवर नहीं किया गया है। संत कुमार इस मामले में मानहानि का दावा ठोकने की तैयारी में हैं। उन्होंने कहा – “इससे मेरी सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है, मुझे बदनाम किया जा रहा है।”

जब गांव तहसील से 3 KM दूर था, तो सत्यापन क्यों नहीं किया गया?

मलारी गांव केवलारी तहसील से महज 3 किमी की दूरी पर है, इसके बावजूद किसी अधिकारी ने संत कुमार की जीवित उपस्थिति की पुष्टि तक नहीं की। यह लापरवाही दर्शाती है कि किस तरह अधिकारियों की मिलीभगत से जनता के हक की राशि हड़पी गई।