नई दिल्ली : मूड ऑफ द नेशन माने जा रहे उपचुनाव में मध्यप्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, बिहार और हरियाणा में रिजल्ट आ गए हैं। सबसे पहले सुबह 8 बजे से पोस्टल बैलेट वोटों की गिनती शुरू हुई। इसके बाद EVM के वोटों की गिनती शुरू की गई। पोस्टल बैलेट की गिनती अलग कमरे में की गई। उपचुनाव के नतीजों के रुझान दोपहर में आने शुरू हो गए। मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कमाल देखने को मिला। राजस्थान में कांग्रेस का दबदबा रहा। दोनों सीटों जीती। बिहार में दोनों सीटें जेडीयू ने जीतीं। इससे पहले, इस चुनाव परिणाम के बाद बिहार (bihar) जैसे प्रदेश में सत्ता समीकरण बदलने के भी कयास लगाए जा रहे थे।
मध्यप्रदेश
खंडवा संसदीय क्षेत्र सहित पृथ्वीपुर, जोबट और रैगांव विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव की मतगणना सुबह आठ बजे से शुरू हो जाएगाी। संबंधित जिला मुख्यालयों में केंद्रीय पर्यवेक्षक की मौजूदगी में डाक मतपत्रों की गणना के साथ इसकी शुरुआत होगी। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए पांच-पांच मतदान केंद्रों के वोटर वैरिफाइड पेपर आडिट ट्रेल (VVPAT) की पर्ची की गणना भी की जाएगी। मतगणना स्थल पर सुरक्षा के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बल की टुकड़ी के साथ पौने दो हजार से ज्यादा जिला पुलिस बल तैनात किया गया है। अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी राजेश कुमार कौल ने बताया कि मतगणना की पूरी तैयारी हो चुकी है। सभी जिला मुख्यालयों में मतगणना होगा।
इनके बीच है मुख्य मुकाबला
खंडवा संसदीय क्षेत्र- ज्ञानेश्वर पाटील-राजनारायण सिंह पुरनी
पृथ्वीपुर विधानसभा- शिशुपाल सिंह यादव-नितेन्द्र सिंह राठौर
जोबट विधानसभा- सुलोचना रावत- महेश पटेल
रैगांव विधानसभा- प्रतिमा बागरी-कल्पना वर्मा
शिवराज सिंह चौहान और कमलनाथ की अग्निपरीक्षा
मध्यप्रदेश (madhya pradesh) का उपचुनाव सीएम शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के लिए भी बेहद अहम हैं। हाल में बीजेपी ने तीन राज्यों में सीएम बदले हैं। चौहान भी डेढ़ दशक से अधिक समय से सीएम हैं। अगर परिणाम विपरीत आए तो उनके सामने नई चुनौती होगी। उसी तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के बीजेपी में शामिल होने के बाद कमलनाथ (Kamalnath) के लिए यह परिणाम बेहद अहम होंगे। अगर कांग्रेस उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाई तो पार्टी में भगदड़ और बढ़ सकती है। पिछले कुछ समय से राज्य में कई कांग्रेसी नेताओं ने अपना पाला बदला है।
राजस्थान में कड़ा मुकाबला
राजस्थान (rajsthan) में वल्लभनगर से कांग्रेस विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत और धारियावाड़ से भाजपा विधायक गौतम लाल मीणा के निधन के कारण उपचुनाव कराना पड़ा। वल्लभनगर में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी ने गजेंद्र सिंह शक्तावत की पत्नी प्रीति शक्तावत को टिकट दिया है, जबकि भाजपा ने हिम्मत सिंह झाला को मैदान में उतारा। कांग्रेस ने धारियावाड़ से नागराज मीणा को भाजपा प्रत्याशी खेत सिंह मीणा के खिलाफ मैदान में उतारा।
अशोक गहलोत की प्रतिष्ठा का सवाल
राजस्थान में दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे राज्य की सियासत को और गरमा सकते हैं। वहां पिछले कई महीनों से सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) से विवाद चल रहा है। ऐसे में गहलोत के लिए यह परिणाम बेहद खास होगा। राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की आहट कुछ समय से सुनाई पड़ रही है। प्रदेश में बीजेपी कई खेमों में बंटी हुई है। उनके लिए भी यह परिणाम राज्य पर असर डालने वाला होगा।
बिहार में नतीजे तय करेंगे लालू-नीतीश की साख
बिहार (bihar) विधानसभा की दो सीटों मुंगेर के तारापुर और दरभंगा के कुशेश्वरस्थान के लिए हुए उपचुनाव में राजनीतिक दलों के दिग्गजों की साख दांव पर है। इस उपचुनाव में जीत के लिए लालू प्रसाद और नीतीश कुमार जैसे नेताओं ने भी चुनाव प्रचार की कमान संभाल रखी थी। उपचुनाव के नतीजे आज दोपहर तक आ जाएंगे।
गठबंधन का भविष्य तय होगा
बिहार में कांग्रेस और आरजेडी की सियासी राह अलग-अलग होने से क्या वहां की सियासत पर असर हुआ और असर हुआ तो कितना हुआ? इसका जवाब उपचुनाव के नतीजे देंगे। राज्य में दो विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में दोनों दल गठबंधन तोड़कर अलग-अलग उतरे हैं। राज्य के सीएम नीतीश कुमार (nitish kumar) और उनकी पार्टी जेडीयू के लिए भी यह उपचुनाव अहम है। पिछले साल चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद इस चुनाव में जेडीयू की साख दांव पर है। राज्य में जिस तरह के राजनीतिक समीकरण है, इन दो सीटों के परिणाम वहां बड़ा असर डाल सकते हैं।
उपचुनाव के नतीजों से बदलेंगे सियासी समीकरण?
देखा जाए तो सत्ता और विपक्ष में बहुत ज्यादा सीटों का अंतर भी नहीं है। पिछले साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव में RJD, कांग्रेस और वामपंथी दल महागठबंधन के तहत चुनाव मैदान में उतरी थी जबकि जदयू (JDU), बीजेपी, विकासशील इंसान पार्टी (VIP) और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) एनडीए (NDA) में शामिल थी। विधानसभा के गणित की बात करें तो 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में बहुमत के आंकड़े के लिए 122 सीटों की जरूरत है।