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MP के उन 4 नेताओं के पढ़िए वो विवादत बयान, जिनकी वजह से पूरे देश में BJP पर उठ रहे सवाल
मध्य प्रदेश में नेताओं के विवादित बयानों से मचा राजनीतिक तूफान! मंत्री विजय शाह से लेकर डिप्टी सीएम देवड़ा, कुलस्ते और विधायक प्रजापति तक के बोलों ने कोर्ट और विरोधियों को उकसाया। जानिए कौन-क्या बोला और देश में क्यों मच गया बवाल।
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मध्य प्रदेश में भाजपा नेताओं के विवादित बयानों से मचा राजनीतिक भूचाल
ऑपरेशन संदूर के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति इन दिनों बयानों के बमों से दहल रही है। कैबिनेट मंत्री विजय शाह, डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा, सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और विधायक नरेंद्र प्रजापति के विवादित बयानों ने सियासी माहौल गर्म कर दिया है। इन बयानों की गूंज न सिर्फ राज्य बल्कि पूरे देश में महसूस की जा रही है। कोर्ट से लेकर सोशल मीडिया तक इन बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
बयान नंबर 1: विजय शाह और "ऐसी की तैसी" विवाद
कैबिनेट मंत्री विजय शाह ने महू में आयोजित कार्यक्रम में आतंकवाद से जुड़ा एक विवादास्पद बयान देते हुए कहा, "मोदी जी ने उनकी बहन को उनकी ऐसी की तैसी करने उनके घर भेजा..."। यह बयान उन्होंने महिला सेना अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी के सन्दर्भ में दिया। बयान में समाज विशेष के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर MP हाईकोर्ट ने FIR दर्ज करने का आदेश दिया और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। सुनवाई 19 मई को होगी।
बयान नंबर 2: डिप्टी सीएम देवड़ा और "सेना के चरणों में नतमस्तक" विवाद
जबलपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने कहा, "पूरा देश सेना और सैनिकों के चरणों में नतमस्तक है..."। इस बयान को विपक्ष ने अति भावनात्मक और राजनीतिक लाभ के उद्देश्य से प्रेरित करार दिया।
बयान नंबर 3: कुलस्ते बोले- "हमारे आतंकवादी"
मंडला सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते ने डिंडौरी में मीडिया से बातचीत के दौरान जुबान फिसलते हुए कहा, "पाकिस्तान के जो हमारे आतंकवादी हैं..."। यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और उनकी देशभक्ति पर सवाल उठ खड़े हुए।
बयान नंबर 4: विधायक बोले- "सीजफायर UN के आदेश से हुआ"
रीवा के मनगवां से विधायक नरेंद्र प्रजापति ने दावा किया कि पाकिस्तान के खिलाफ चल रहे अभियान को UN के सीजफायर आदेश के चलते रोका गया। जबकि सरकार की ओर से ऐसा कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
भाजपा का डैमेज कंट्रोल
एमपी बीजेपी को इन बयानों के चलते गंभीर आलोचना और कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कोर्ट, सोशल मीडिया और विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रिया ने पार्टी नेतृत्व को भी असहज कर दिया है। इन विवादों के बाद भाजपा ने अपने नेताओं के लिए कम्युनिकेशन ट्रेनिंग कैंप आयोजित करने की योजना बनाई है, ताकि भविष्य में ऐसे बयानों से बचा जा सके।