MP में कुछ ऐसा होने वाला है, जो किसी ने सोचा भी नहीं था! सीएम मोहन यादव ने शराब की जगह दूध बेचने की योजना का ऐलान कर सबको चौंका दिया। क्या ये सिर्फ शराबबंदी है या कोई गहरी सामाजिक क्रांति की शुरुआत? सच्चाई जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे!
Madhya Pradesh Prohibition: मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मध्य प्रदेश में शराबबंदी को लेकर बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में शराब की दुकानों को बंद कर उनकी जगह दूध की दुकानें खोली जाएंगी। यह कदम समाज को नशामुक्त बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने की दिशा में उठाया गया है।
पन्ना में सीएम का बड़ा बयान: "शराब नहीं, अब गौ-पालन से बनेगा भविष्य"
भगवान जुगल किशोर लोक की स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम में सीएम यादव ने कहा: "शराब परिवारों को बर्बाद कर देती है। हम राज्य भर में शराब की दुकानों को बंद करने और उनकी जगह दूध की दुकानें खोलने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि यह योजना न सिर्फ शराबबंदी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था, आत्मनिर्भरता और गौ संरक्षण से जुड़ी हुई है।
अब तक 19 शहरों में शराब बिक्री पर रोक, जल्द पूरे प्रदेश में लागू होगी योजना
सरकार ने अब तक 19 शहरों की नगरपालिका सीमा में शराब की बिक्री पर रोक लगा दी है। सरकार का लक्ष्य आने वाले समय में पूरे राज्य को शराब मुक्त बनाना है।
"गोपाल से गोकुल तक" – भारतीय संस्कृति को फिर से जीवित करने की कोशिश
सीएम मोहन यादव ने अपने भाषण में भारतीय परंपरा और गौ संस्कृति पर जोर देते हुए कहा: "जो गाय का पालन करता है, वह गोपाल कहलाता है।" "जो पूरे गौ परिवार की सेवा करता है, वह गोकुल कहलाता है।" इसी विचारधारा से प्रेरित होकर सरकार 'आदर्श वृंदावन गांव' बनाने की योजना पर काम कर रही है।
आदर्श वृंदावन योजना: एक लाख की आबादी वाला आत्मनिर्भर ग्राम मॉडल
सरकार की योजना है कि हर एक लाख की जनसंख्या के लिए एक आत्मनिर्भर "वृंदावन" ग्राम तैयार किया जाए, जहां: दूध उत्पादन और डेयरी को बढ़ावा मिलेगा। गौशालाओं को सरकारी सहायता दी जाएगी। ग्रामीणों को रोजगार और पशुपालन के नए अवसर मिलेंगे और स्वच्छता, स्वास्थ्य और संस्कृति को प्राथमिकता दी जाएगी।
सिर्फ शराबबंदी नहीं, एक सांस्कृतिक आंदोलन की शुरुआत
यह कदम केवल शराब बंद करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज को उसकी जड़ों से जोड़ने और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को ज़मीन पर उतारने की कोशिश है। इसमें स्वास्थ्य, परंपरा, परिवारिक मूल्य और ग्राम स्वराज की भावना शामिल है।
जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में इस घोषणा की जमकर चर्चा हो रही है। कुछ लोग इसे साहसिक और सकारात्मक फैसला बता रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे व्यावहारिकता और जमीन पर अमल को लेकर सवाल उठा रहे हैं।