सार
मंदसौर में बुजुर्ग मोहनलाल ने तहसीलदार के सामने अपनी पगड़ी पैरों में रखकर सिर झुकाया और न्याय की गुहार लगाई। लंबे समय से जमीन विवाद में फंसे मोहनलाल की अनोखी मांग ने सोशल मीडिया पर सनसनी मचा दी। क्या मिलेगा उन्हें इंसाफ?
Mandsaur land dispute: MP के मंदसौर जिले के बरखेड़ा देवडूंगरी गांव के रहने वाले मोहनलाल बलाई वर्षों से अपनी जमीन की लड़ाई लड़ रहे हैं। जब प्रशासन ने उनकी समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया, तो उन्होंने कलेक्ट्रेट परिसर में तहसीलदार के सामने सिर झुकाकर अपनी पगड़ी पैरों में रख दी और न्याय की गुहार लगाई। उनका यह अनोखा प्रदर्शन देखने वालों के दिल को छू गया और सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
जनसुनवाई में असफल प्रयास, तब सड़क पर प्रदर्शन
मोहनलाल ने कई बार जनसुनवाई में अपनी समस्या रखी, लेकिन प्रशासन से कोई ठोस जवाब नहीं मिला। निराशा में उन्होंने कलेक्ट्रेट के बाहर सड़क पर बैठकर विरोध करना शुरू किया। उनका यह कदम आसपास के लोगों की भीड़ जुटाने का कारण बना, जिससे मामला प्रशासन के संज्ञान में आया।
तहसीलदार की सलाह, विवादित जमीन पर हस्तक्षेप नहीं
मल्हारगढ़ तहसीलदार सोनिका सिंह ने बताया कि मोहनलाल जिस जमीन की मांग कर रहे हैं, वह किसी प्राइवेट व्यक्ति की संपत्ति है। प्रशासन की क्षमता में नहीं है कि वह इस जमीन को मोहनलाल को दे सके। तहसीलदार ने कहा कि इस मामले को कोर्ट में सुलझाया जाना चाहिए। यह बयान सुनकर मोहनलाल और उनके समर्थकों में मायूसी छा गई।
अधिकारियों पर अनुचित व्यवहार के आरोप
मोहनलाल ने आरोप लगाया कि अधिकारी उनकी समस्या सुनने के बजाय बार-बार पुलिस के पास भेज देते हैं और कई बार तो उन्हें कमरे में बंद करके परेशान भी किया गया। उनका कहना है कि प्रशासन ने न्याय के बजाय उन्हें भयभीत करने की कोशिश की, जिससे उनका संघर्ष और भी मुश्किल हो गया है।
सोशल मीडिया पर वीडियों वायरल, मोहनलाल के साथ खड़े हुए लोग
सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया, जहां लोगों ने प्रशासन की उदासीनता पर सवाल उठाए। कई लोग न्याय मिलने की उम्मीद जताते हुए प्रशासन से जल्द कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यह मामला स्थानीय प्रशासन की संवेदनशीलता और जवाबदेही पर भी सवाल खड़ा करता है।
क्या होगा बुजुर्ग मोहनलाल का भविष्य?
क्या प्रशासन उनके दर्द को समझ पाएगा या यह मामला एक लंबी कानूनी लड़ाई में उलझ कर रह जाएगा? मोहनलाल की लड़ाई उन कई नागरिकों की कहानी कहती है, जो न्याय की राह में कई बाधाओं का सामना करते हैं। अब सबकी निगाहें प्रशासन और न्याय व्यवस्था पर टिकी हैं कि वे इस मुद्दे को जल्द सुलझाएं।