सार
जबलपुर के रैपुरा गांव में अचानक घोड़ों में कोरोना जैसे खतरनाक लक्षण सामने आए हैं, जिनसे 8 की मौत हो चुकी है। बीमारी की वजह से घोड़ों को गुप्त रूप से 15 फीट नीचे दफनाया गया है। क्या यह ग्लैंडर्स बीमारी एक बड़ा खतरा बन सकती है?
Glanders Disease In Jabalpur: मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले के रैपुरा गांव में एक निजी रेस कोर्स के लिए हैदराबाद से लाए गए 57 घोड़ों में से 8 की मौत हो गई। पशुपालन विभाग के डॉक्टरों ने जांच के बाद इन घोड़ों में ग्लैंडर्स नामक बीमारी के लक्षण पाए, जो कोरोना की तरह तेजी से फैलने वाली और खतरनाक मानी जाती है। इस बीमारी का अभी तक कोई प्रभावी इलाज या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।
ग्लैंडर्स बीमारी: जानिए क्या है यह खतरनाक संक्रमण?
ग्लैंडर्स एक जीवाणु संक्रमण है, जो बर्कहोल्डरिया मैलेई नामक जीवाणु के कारण होता है। यह मुख्यतः घोड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन मनुष्यों में भी फैल सकता है। इस बीमारी के कारण त्वचा के नीचे गांठें, अल्सर, तेज बुखार, नाक से स्राव, खांसी और सांस लेने में दिक्कत होती है। दूषित भोजन और पानी से यह तेजी से फैलती है।
15 फीट नीचे दफनाई गईं घोड़ों की लाशें, राजस्व विभाग ने की जमीन चिन्हित
जबलपुर में घोड़ों की मौत के बाद, नेशनल एक्शन प्रोटोकॉल के तहत 8 मृत घोड़ों को बिना पोस्टमार्टम किए जमीन में 15 फीट की गहराई में दफनाया गया। राजस्व विभाग ने इसके लिए खास तौर पर जमीन चिन्हित की ताकि कोई भी इस इलाके में प्रवेश न कर सके और बीमारी न फैले।
नेशनल रिसर्च सेंटर में जांच जारी, रिपोर्ट में निगेटिव- पॉजिटिव केस
घोड़ों के सैंपल हिसार के नेशनल रिसर्च सेंटर भेजे गए। अब तक 44 घोड़ों की रिपोर्ट निगेटिव आई है, लेकिन 4 घोड़ों के सैंपल को पुनः जांच के लिए भेजा गया है क्योंकि उनमें बीमारी के लक्षण पाए गए हैं। 5 घोड़ों के सैंपल अभी रिपोर्ट के इंतजार में हैं। विभाग ने बाकी 49 घोड़ों को आइसोलेट कर रखा है।
भोपाल से विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने की विस्तृत जांच
ग्लैंडर्स के लक्षण सामने आने के बाद भोपाल से तीन विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम जबलपुर पहुंची। टीम में डॉ. जयंत तापसे, डॉ. सुनील तुमडिया और डॉ. शाहीकिरण शामिल थे। उन्होंने रैपुरा गांव के अश्तबल का निरीक्षण किया और सैंपल की जांच की रिपोर्ट तैयार की। इसके बाद उन्होंने नेशनल एक्शन प्रोटोकॉल के तहत किए गए कामों की समीक्षा की।
केंद्र सरकार के नेशनल एक्शन प्रोटोकॉल के तहत की गई सावधानी
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने नेशनल एक्शन प्रोटोकॉल के तहत कदम उठाए। पशुपालन विभाग ने तेजी से संक्रमण को रोकने के लिए प्रभावित घोड़ों को आइसोलेट किया और संक्रमित शवों को सुरक्षित तरीके से नष्ट किया। इसके अलावा, आसपास के क्षेत्र में कड़ी निगरानी जारी है।
खतरा अभी टला नहीं: ग्लैंडर्स बीमारी का भय
हालांकि ज्यादातर घोड़ों की रिपोर्ट निगेटिव आई है, लेकिन चार घोड़ों में लक्षण मिलने और पांच की रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। इस कारण अधिकारियों ने पूरे इलाके में सतर्कता बढ़ा दी है ताकि बीमारी किसी भी कीमत पर और न फैले। स्थानीय प्रशासन और पशुपालन विभाग लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।