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पाकिस्तानियों के लिए MP का ये शहर बना पहली पसंद, जहां 300 से ज्यादा ने ली नागरिकता
इंदौर बना पाकिस्तान से आए सिंधी शरणार्थियों की रहस्यमयी पहली पसंद! 300 से ज्यादा को मिली भारतीय नागरिकता, खास ऑफिस खुला, समाज ने भी निभाई बड़ी भूमिका—क्यों इंदौर ही बना उनकी नई पहचान?
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इंदौर क्यों बना पाकिस्तानियों की पहली पसंद?
CAA कानून लागू होने के बाद मध्यप्रदेश का इंदौर शहर पाकिस्तान से आए सिंध क्षेत्र के शरणार्थियों की सबसे बड़ी शरणस्थली बन गया है। बीते तीन वर्षों में लगभग 300 से अधिक पाकिस्तानी नागरिकों को यहां भारतीय नागरिकता दी जा चुकी है।
नागरिकता के लिए इंदौर में खुला विशेष कार्यालय
नागरिकता प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाने के लिए जैकबाबाद पंचायत ने इंदौर में एक विशेष कार्यालय खोला। इस सेंटर पर पाकिस्तानी शरणार्थियों को दस्तावेजी सहायता, आवेदन प्रक्रिया और जानकारी दी गई। पंचायत ने समाज के सहयोग से नागरिकता प्रक्रिया को सुगम बनाया।
इंदौर में नागरिकता प्रमाण पत्र बांटने का भव्य समारोह
दो साल पूर्व इंदौर में भव्य समारोह आयोजित कर थोक में नागरिकता प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इस कार्यक्रम में इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने भी हिस्सा लिया, जो स्वयं सिंधी समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। इससे पाकिस्तानी मूल के सिंधी परिवारों को मजबूती मिली।
व्यापार, समाज और रहन-सहन ने बनाया इंदौर को खास
इंदौर में तीन बड़े सिंधी बाहुल्य क्षेत्र हैं जहाँ व्यापार के बेहतर अवसर, कम कीमत पर संपत्ति, और पारिवारिक सपोर्ट सिस्टम मौजूद है। यही वजह है कि भोपाल का बैरागढ़ होने के बावजूद, अधिकांश परिवारों ने इंदौर को ही स्थायी निवास के लिए चुना।
सिंध से इंदौर तक का सफर – धर्म, समाज और सुरक्षा की तलाश
ज्यादातर परिवार पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आए हैं और धार्मिक भेदभाव के चलते भारत में बसना चाहते थे। CAA के लागू होने के बाद उनकी उम्मीदों को मजबूती मिली और उन्होंने इंदौर जैसे सुरक्षित और समाजिक रूप से संगठित शहर को अपना ठिकाना बनाया।
बैरागढ़ भी पसंद, लेकिन इंदौर रहा टॉप चॉइस
भोपाल के बैरागढ़ को भी पाकिस्तानी मूल के शरणार्थियों ने पसंद किया, लेकिन इंदौर में बेहतर व्यापारिक माहौल, कम रियल एस्टेट कीमतें और मजबूत सिंधी कम्युनिटी ने इसे टॉप पसंद बना दिया। हर साल नए परिवार यहां बसते जा रहे हैं।
क्या अब और बढ़ेगा आंकड़ा?
सूत्रों के अनुसार, अभी भी कई पाकिस्तानी परिवार नागरिकता की प्रतीक्षा में हैं। इंदौर में इनकी संख्या बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।