eid ul adha 2025 : बकरीद पर IAS अधिकारी नियाज़ खान ने पशु बलि पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने जीव-जंतुओं के प्रति दया का भाव रखने और शाकाहार अपनाने की अपील की है।
bakrid festival 2025 : आज 7 जून को पूरे देशभर में बकरीद का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। बकरा ईद को इस्लाम धर्म में ‘कुर्बानी का त्योहार’ भी कहा जाता है, यानि इस मौके पर बकरों की कुर्बानी दी जाती है। इसी बीच मध्य प्रदेश सरकार के सीनियर आईएएस अफसर नियाज खान ने पशु कुर्बानी एक ट्वीट किया है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। उन्होंने कहा-पशुओं का खून बहाना कहीं से कहीं तक उचित नहीं है।
बकरीद पर कुर्बानी देने पर क्या बोले-IAS नियाज़ खान
दरअसल, मध्य प्रदेश सरकार के सीनियर आईएएस अफसर नियाज़ खान ने पशु कुर्बानी नहीं होना चाहिए, इसलिए यह पोस्ट की है। उन्होंने बकरीद से ठीक पहले पर्यावरण संरक्षण का हवाला देते हुए यह ट्वीट किया है। आईएएस अफसर नियाज़ खान ने अपनी राय रखते हुए कहा कि किसी भी जीव-जंतु का खून बहाना उचित नहीं है। उन्होंने इंटरव्यू के दौरा कहा-हम लोग शाकाहारी बने, मांस खाने से हम बचे, अधिक से अधिक हम शाकाहारी बने और जीव जंतु प्रेम करते हैं। उन्होंने तो यहां तक कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां 50 प्रतिशत लोग शाकाहारी हैं, इसलिए मेरी विनती है जो लोग आज भी 21वीं सदी में मांस खाते हैं वह शाकाहर बने। हालांकि नियाज खान यह भी बोले-मेरे मना करने से कोई कुर्बानी देना नहीं छोड़ेगा। क्योंकि कुरआन में भी कुर्बानी का जिक्र है…मेरा मकसद किसी की भावनाएं आहत करना नहीं है। मैं तो पूर्ण रूप से शाकाहारी हूं।
क्यों दी जाती है बकरे की कुर्बानी
इस्लाम धर्म के पवित्र ग्रंथ क़ुरआन के मुताबिक, कुर्बानी की कहानी हज़रत इब्राहीम से जुड़ी है। बताया जाता है कि अल्लाह के आदेश पर वह अपने बेटे हज़रत इस्माईल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए थे। जिसे उन्होंने इस सपने को अल्लाह का पैगाम माना और इसे पूरा करने का निर्णय लिया। लेकिन खुदा ने उनकी इबादत को अपने बेटे की जगह एक जानवर की कुर्बानी देने के लिए कहा तो हज़रत इब्राहीम ने एक पशु को कुर्बान करने का फैसला लिया। बस तभी से आज तक ईद पर कुर्बानी दे जाती है।