Bhopal e-rickshaw ban: भोपाल में छात्र-छात्राओं की सुरक्षा को देखते हुए प्रशासन ने ई-रिक्शा से स्कूल आने-जाने पर सख्त रोक लगा दी है। आदेश का उल्लंघन करने वाले स्कूलों पर होगी कड़ी कार्रवाई, अब सिर्फ मान्यता प्राप्त वाहन ही वैध।

Bhopal school news: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्कूली छात्रों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है। जिला कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने रविवार को आदेश जारी करते हुए ई-रिक्शा से स्कूली बच्चों के परिवहन पर पूर्णतः रोक लगा दी है। यह निर्णय जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक के बाद लिया गया, जिसमें स्कूली बच्चों के ट्रांसपोर्ट को लेकर गंभीर चिंता जताई गई थी।

“नियम तोड़े तो स्कूलों पर गिरेगा डंडा”–कलेक्टर की सख्त चेतावनी 

आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि ई-रिक्शा स्कूली छात्रों के लिए सुरक्षित नहीं हैं, क्योंकि इन वाहनों में न तो जरूरी सेफ्टी फीचर्स हैं और न ही प्रशिक्षित चालक। साथ ही यह भी चेतावनी दी गई कि यदि कोई स्कूल इस आदेश की अवहेलना करता है तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने सभी निजी और सरकारी स्कूलों को निर्देश दिए हैं कि वे बच्चों के परिवहन के लिए मान्यता प्राप्त बसें या वैन ही इस्तेमाल करें।

क्यों लगाया गया प्रतिबंध? 

जानिए प्रशासन का कारण बीते कुछ महीनों में भोपाल सहित अन्य जिलों में ई-रिक्शा से स्कूली बच्चों की ढुलाई के दौरान ओवरलोडिंग, दुर्घटनाएं और ट्रैफिक नियम उल्लंघन जैसी घटनाएं सामने आई थीं। इससे न केवल बच्चों की जान खतरे में पड़ रही थी, बल्कि अभिभावकों की चिंता भी बढ़ती जा रही थी। प्रशासन के मुताबिक, ई-रिक्शा में कोई इमरजेंसी सेफ्टी सिस्टम नहीं होता और ये बिना सुरक्षा मानकों के चल रहे हैं।

“स्कूल वाहन मतलब लाइसेंस और सुरक्षा के साथ”–प्रशासन की अपील

अब से स्कूल वाहन वही माना जाएगा जिसमें आरटीओ द्वारा अनुमोदित लाइसेंस, फिटनेस और चालक की वैध पहचान हो। ई-रिक्शा चलाने वालों को स्कूल बच्चों को बिठाने की अनुमति नहीं होगी। प्रशासन ने साथ ही अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने बच्चों को सुरक्षित और अनुमोदित ट्रांसपोर्ट से ही भेजें। किसी भी लापरवाही की स्थिति में वे संबंधित थाने या स्कूल प्रबंधन से संपर्क करें।

सुरक्षा से समझौता नहीं, नियमों की सख्ती से पालना ज़रूरी 

भोपाल प्रशासन का यह निर्णय छात्रों की सुरक्षा की दिशा में एक अहम और जरूरी कदम है। इससे यह संकेत भी मिलता है कि बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी कोई भी लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।