सार
IAS Vinay Kumar Choubey Arrest: झारखंड आबकारी घोटाले (Jharkhand Excise Scam) में ACB ने सीनियर IAS अफसर विनय कुमार चौबे को किया गिरफ्तार। ED और ACB की पूछताछ, मनी लॉन्ड्रिंग केस में बड़ी गिरफ्तारी।
IAS Vinay Kumar Choubey Arrest: झारखंड के चर्चित आबकारी घोटाले (Excise Scam) में मंगलवार को झारखंड ACB ने बड़ी कार्रवाई करते हुए राज्य के वरिष्ठ IAS अधिकारी विनय कुमार चौबे को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें कई घंटों की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर विशेष न्यायाधीश योगेश कुमार की अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 3 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
सुबह ACB पहुंची घर, फिर मुख्यालय ले जाकर पूछताछ के बाद गिरफ्तारी
ACB की टीम मंगलवार सुबह चौबे के आवास पहुंची और उन्हें अपने साथ पूछताछ के लिए एजेंसी मुख्यालय ले गई। दिनभर चली पूछताछ के बाद ACB ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग और आबकारी नीति में अनियमितताओं के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया।
IAS गजेन्द्र सिंह भी भेजे गए जेल
इसी केस में आबकारी विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेन्द्र सिंह को भी ACB ने गिरफ्तार कर जेल भेजा है। पूछताछ के बाद दोनों अधिकारियों को हॉटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में रखा गया है।
मुख्यमंत्री के सचिव से लेकर पंचायत विभाग के प्रधान सचिव तक का सफर
1999 बैच के IAS अफसर विनय कुमार चौबे राज्य के कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। वे मुख्यमंत्री के सचिव रह चुके हैं और इस समय पंचायती राज विभाग में प्रधान सचिव के पद पर तैनात थे।
राज्य सरकार ने पहले ही दी थी FIR दर्ज करने की अनुमति
राज्य सरकार ने चौबे के खिलाफ FIR दर्ज करने के लिए पहले ही ACB को अनुमति दे दी थी। इसके बाद एजेंसी ने तेजी से कार्रवाई करते हुए गिरफ्तारी की प्रक्रिया पूरी की। गिरफ्तारी के बाद चौबे के वकील देवेश अजयमणि ने मीडिया से कहा: हमें अभी तक यह नहीं बताया गया है कि किस आधार पर ACB ने उन्हें गिरफ्तार किया है। उनकी मेडिकल कंडीशन को लेकर हमने अदालत में रिपोर्ट भी पेश की है।
ED की भी है सक्रिय भूमिका, अक्टूबर 2024 में हुई थी बड़ी रेड
इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी पहले से सक्रिय है। अक्टूबर 2024 में ED ने चौबे, गजेन्द्र सिंह और कई अन्य अफसरों व शराब कारोबारियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी।
15 ठिकानों पर छापे, रायपुर और रांची में एक साथ ऑपरेशन
ED ने झारखंड और छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कुल 15 स्थानों पर छापे मारे थे। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत की गई थी।
छत्तीसगढ़ ACB की FIR के आधार पर ED ने लिया संज्ञान
इस पूरे मामले की शुरुआत 7 सितंबर 2024 को छत्तीसगढ़ ACB द्वारा रायपुर में दर्ज की गई FIR से हुई थी। FIR में रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा, अंजुमन के भाई अनवर ढेबर, भारतीय दूरसंचार सेवा अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी और अन्य को भी नामजद किया गया था। ED ने इसी FIR के आधार पर केस दर्ज किया और जांच शुरू की।