ब्रिटेन में रह रहे हथियार डीलर संजय भंडारी को दिल्ली की एक अदालत ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया है। ईडी का आरोप है कि भंडारी के पास ₹100 करोड़ से ज़्यादा की विदेशी संपत्ति है और वो जानबूझकर भारतीय कानून से बच रहे हैं।

नई दिल्ली: दिल्ली की एक विशेष अदालत ने शनिवार को ब्रिटेन में रह रहे हथियार डीलर संजय भंडारी को अघोषित विदेशी संपत्ति से जुड़े आयकर मामले में भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (FEO) के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया। यह आदेश अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका पर पारित किया। ईडी ने आरोप लगाया कि भंडारी जानबूझकर भारतीय कानूनी कार्यवाही से बच रहे हैं और उनके पास 100 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी संपत्ति है। एजेंसी ने ज़ोर देकर कहा कि ब्रिटेन की अदालत द्वारा भंडारी के प्रत्यर्पण से इनकार करने का वर्तमान कार्यवाही पर कोई असर नहीं पड़ता, जो स्वतंत्र है और भारतीय कानून द्वारा शासित है।
 

हालांकि, भंडारी ने ईडी की याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि ब्रिटेन में उनका निवास वैध है और लंदन उच्च न्यायालय के एक फैसले द्वारा समर्थित है, जिसने तिहाड़ जेल में उनकी सुरक्षा को लेकर चिंताओं का हवाला देते हुए उनके प्रत्यर्पण से इनकार कर दिया था। उनके वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने दावा किया कि ईडी का आवेदन अस्पष्ट था, उसमें अधिकार क्षेत्र की कमी थी, और यह FEO अधिनियम के तहत कानूनी सीमा को पूरा करने में विफल रहा।
सिंह ने आगे तर्क दिया कि कथित अपराध का मौद्रिक मूल्य ₹100 करोड़ से अधिक नहीं था, और उन्होंने आयकर विभाग द्वारा 2020 में की गई एक प्रस्तुति का हवाला दिया। उन्होंने यह भी बताया कि भंडारी को ब्रिटेन के उच्च न्यायालय ने रिहा कर दिया था, और उनके खिलाफ कोई नया वारंट लंबित नहीं था।
इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से विशेष लोक अभियोजक ज़ोहेब हुसैन पेश हुए।
 

ब्रिटेन के उच्च न्यायालय ने पहले मानवाधिकार के आधार पर भंडारी के प्रत्यर्पण को रोक दिया था, जिसमें भारतीय हिरासत में ज़बरदस्ती वसूली और हिंसा के जोखिमों का हवाला दिया गया था। ब्रिटेन के सर्वोच्च न्यायालय में इस फैसले को चुनौती देने के भारत सरकार के बाद के प्रयास को भी खारिज कर दिया गया था।