Naxalite Sudhakar Encounter: बीजापुर के जंगल में मुठभेड़ में मारा गया वो माओवादी, जिसकी तलाश पर था ₹40 लाख का इनाम! कौन था सुधाकर उर्फ गौतम? कैसे बन गया वो माओवादियों की रीढ़ और क्यों उसकी मौत से कांप उठा दंडकारण्य? पढ़िए इस ऑपरेशन की पूरी कहानी!
रायपुर/बीजापुर। छत्तीसगढ़ में नक्सल मोर्चे पर सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। बीजापुर जिले के घने जंगलों में गुरुवार को हुई मुठभेड़ में सीपीआई (माओवादी) का वरिष्ठ नेता गौतम उर्फ सुधाकर मारा गया। उसकी मौत से नक्सली संगठन को बड़ा झटका माना जा रहा है।
कौन था सुधाकर उर्फ गौतम?
सुधाकर, माओवादी संगठन की सेंट्रल कमेटी का सदस्य था और तेलंगाना राज्य समिति से भी जुड़ा हुआ था। उस पर छत्तीसगढ़ सरकार ने ₹40 लाख का इनाम घोषित कर रखा था। वह विचारधारा आधारित प्रशिक्षण केंद्र का प्रमुख था और युवाओं को हिंसा और उग्रवाद के लिए तैयार करता था।
कैसे हुआ एनकाउंटर?
21 मई 2025 को मारे गए माओवादी महासचिव बसवराजू की मौत के बाद नक्सल संगठन बिखर चुका था। इसी बीच बीजापुर के इंद्रावती टाइगर रिजर्व के जंगलों में पुलिस को खुफिया जानकारी मिली कि कुछ बड़े माओवादी नेता इलाके में मौजूद हैं। इसके बाद एसटीएफ, डीआरजी और कोबरा कमांडो की संयुक्त टीम ने तलाशी अभियान शुरू किया। मुठभेड़ के दौरान हुई गोलीबारी में सुधाकर मारा गया।
बरामद हुआ विस्फोटक जखीरा और एके-47
मुठभेड़ के बाद क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन चलाया गया, जिसमें सुरक्षा बलों ने:
- एके-47 राइफल
- भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री
- गोला-बारूद और वायरलेस उपकरण बरामद किए। इससे यह साफ है कि सुधाकर किसी बड़ी हिंसक साजिश की तैयारी में था।
माओवादियों को लगातार झटके, 2025 में अब तक 186 ढेर
बस्तर पुलिस के अनुसार, वर्ष 2025 में अब तक 186 माओवादी कैडरों के शव बरामद किए जा चुके हैं। इससे यह साफ है कि सुरक्षा बलों की रणनीति अब माओवादियों की कमर तोड़ने लगी है।
क्यों अहम है सुधाकर की मौत?
सुधाकर न सिर्फ एक रणनीतिक लीडर था बल्कि उसने कई निर्दोष आदिवासियों और सुरक्षाकर्मियों की हत्या में भूमिका निभाई थी। वह नए कैडरों की भर्ती और विचारधारा प्रचार-प्रसार का भी जिम्मेदार था।उसकी मौत से नक्सली नेटवर्क को वैचारिक, रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक तीनों स्तरों पर बड़ा नुकसान हुआ है।
अब कौन हैं रडार पर?
सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा एजेंसियां अब सुधाकर से जुड़े नेटवर्क और लिंक को खंगाल रही हैं। तेलंगाना, महाराष्ट्र और ओडिशा की पुलिस भी अब इस ऑपरेशन से जुड़े इनपुट पर काम कर रही है।
माओवाद के खिलाफ बड़ी जीत
सुधाकर की मौत माओवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों की लगातार और आक्रामक रणनीति का परिणाम है। इस सफलता ने साबित कर दिया है कि छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्रीय बल अब नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के मिशन पर हैं।