पालीगंज विधानसभा चुनाव 2025: कभी BJP, कभी RJD और अब CPI(ML)(L)… पालीगंज सीट हर बार बदली है। क्या 2025 में संदीप सौरव अपनी जीत दोहराएंगे या बच्चा यादव और बीजेपी खेल बदल देंगे? जनता का फैसला रहस्यमय है। 

Paliganj Assembly Election 2025: पालीगंज विधानसभा बिहार की उन सीटों में से एक है, जिसने पिछले तीन चुनावों में पूरी तरह अलग-अलग दलों को जीत का स्वाद चखाया है। कभी बीजेपी, कभी राजद और हाल ही में CPI(ML)(L) ने यहां झंडा गाड़ा। यही कारण है कि पालीगंज विधानसभा चुनाव 2025 बेहद रहस्यमय और रोमांचक माना जा रहा है।

2020 पालीगंज विधानसभा चुनाव: CPI(ML)(L) की अप्रत्याशित जीत

2020 में पालीगंज सीट पर बड़ा उलटफेर हुआ। CPI(ML)(L) के संदीप सौरव ने JDU के जय वर्धन यादव उर्फ बच्चा यादव को मात दी। संदीप सौरव को कुल 67,917 वोट मिले जबकि बच्चा यादव को 37,002 वोट ही मिले।

  •  जीत का अंतर: 30,915 वोट
  • खास बात: यह जीत वामपंथी राजनीति के लिए बड़ी उपलब्धि मानी गई, क्योंकि पहली बार CPI(ML)(L) ने यहां इतनी मजबूत पकड़ बनाई।

2015 पालीगंज चुनाव: RJD का दबदबा

2015 में यहां मुकाबला RJD के जय वर्धन यादव और BJP के राम जन्म शर्मा के बीच हुआ।

  •  जय वर्धन यादव (RJD) - 65,932 वोट
  •  राम जन्म शर्मा (BJP)- 41,479 वोट
  •  जीत का अंतर: 24,453 वोट
  • खास बात: इस जीत के साथ राजद ने पालीगंज पर अपना वर्चस्व जमाया और महागठबंधन को मजबूती मिली।

2010 पालीगंज चुनाव: BJP की जीत

2010 में यहां से डॉ. उषा विद्यार्थी (BJP) ने जीत दर्ज की।

  •  उषा विद्यार्थी (BJP)- 43,692 वोट
  •  जय वर्धन यादव (RJD)- 33,450 वोट
  •  जीत का अंतर: 10,242 वोट
  • खास बात: यह जीत बीजेपी के लिए खास थी क्योंकि इससे पार्टी को ग्रामीण सीटों पर नई पहचान मिली।

पालीगंज विधानसभा सीट का राजनीतिक समीकरण

  • 1. पालीगंज सीट हर चुनाव में नया इतिहास लिखती रही है। 2010 में बीजेपी, 2015 में राजद और 2020 में CPI(ML)(L) ने जीत दर्ज की।
  • 2. यह सीट यादव, सवर्ण और दलित वोटरों के समीकरण से तय होती है।
  • 3. बार-बार दलों का बदलना यह दर्शाता है कि यहां जनता हर बार नई उम्मीद के साथ वोट करती है।
  • 4. 2025 में यह देखना रोचक होगा कि क्या CPI(ML)(L) अपना किला बचा पाएगी या राजद और बीजेपी वापसी करेंगे।

पालीगंज विधानसभा चुनाव 2025: क्या होगा इस बार?

पालीगंज की राजनीति में जातीय समीकरण के साथ उम्मीदवारों की व्यक्तिगत लोकप्रियता बड़ी भूमिका निभाती है। जनता का रुझान बदलता रहा है और यही वजह है कि 2025 का मुकाबला दिलचस्प बनने वाला है।