सार

पहलगाम हमले के बाद हुए ऑपरेशन सिंदूर से प्रेरित होकर बिहार के एक दंपति ने अपनी बेटी का नाम सिंदूरी रखा। 7 मई को जन्मी इस बच्ची के नामकरण की कहानी देशभक्ति और गर्व से भरी है।

Operation Sindoor: (पटना). पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर की पूरे भारत में सराहना हुई है, और अब ये नाम कई लोगों के लिए प्रेरणा बन गया है। खबर आई थी कि रिलायंस समेत कई कंपनियों ने इस नाम के लिए ट्रेडमार्क की अर्जी दी थी, लेकिन बाद में रिलायंस ने सफाई देते हुए कहा कि भारतीय सेना की बहादुरी और राष्ट्रीय गौरव से जुड़े इस नाम का व्यावसायिक इस्तेमाल करने का उनका कोई इरादा नहीं है। अब बिहार के एक दंपति ने भी इस नाम के प्रति अपना प्यार दिखाते हुए अपनी बेटी का नाम सिंदूरी रखा है।

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था। इस ऑपरेशन का नाम अब सबको आकर्षित कर रहा है। बिहार के 30 वर्षीय संतोष कुमार मंडल और उनकी पत्नी राकी कुमारी ने अपनी बेटी का नाम सिंदूरी रखा है। ये दंपति बिहार के कटिहार जिले के कुर्सेला ब्लॉक के बाल्टी महेशपुर गाँव के रहने वाले हैं। जिस दिन सेना ने पाकिस्तानी आतंकियों पर हमला किया, उसी दिन उनकी बेटी का जन्म हुआ था।

संतोष ने बताया कि पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सेना ने जिस दिन ऑपरेशन सिंदूर चलाया, उसी दिन उनकी बेटी पैदा हुई। सेना के इस कदम से पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है। इसलिए 7 मई को जन्मी अपनी दूसरी बेटी का नाम उन्होंने सिंदूरी रखा।

प्रसव पीड़ा होने पर संतोष की पत्नी राखी को 7 मई की सुबह कटिहार सेवा सदन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहाँ उन्होंने सिजेरियन ऑपरेशन से एक बच्ची को जन्म दिया। अपने नवजात बच्ची का ऐसा नाम रखने की प्रेरणा के बारे में पूछे जाने पर, संतोष ने कहा कि उन्हें पता चला कि भारतीय सेना ने पहलगाम नरसंहार का बदला लेने के लिए पाकिस्तान पर सुबह-सुबह हवाई हमला किया था। इससे उनके अंदर देशभक्ति की भावना जागृत हुई।

इसलिए उन्होंने अपनी नवजात बेटी का नाम सिंदूरी रखने का फैसला किया। उन्होंने ये बात अपनी पत्नी से भी कही, और वो भी मान गईं। इस तरह बच्ची का नाम सिंदूरी पड़ा। उन्होंने कहा कि 7 मई का दिन, जब हमने निर्दोष लोगों की मौत का बदला लिया, देश कभी नहीं भूलेगा। हम हर साल 'ऑपरेशन सिंदूर' के साथ सिंदूरी का जन्मदिन भी मनाएंगे।

यही नहीं, इस दंपति ने कहा कि वो चाहते हैं कि सिंदूरी अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय सेना में शामिल हो, और वे उसे इसके लिए प्रोत्साहित करेंगे। उन्होंने कहा कि भले ही वो एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से हैं, लेकिन अपने सपने को पूरा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। वे सरकार और स्थानीय प्रशासन के सहयोग की सराहना करते हैं। यह परिवार मुख्य रूप से खेती पर निर्भर है, जो उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है। संतोष ने बताया कि बाल्टी महेशपुर गाँव के अधिकांश निवासियों के लिए खेती ही रोजगार का जरिया है।

सिर्फ यही दंपति नहीं, बल्कि कई और परिवारों को भी ऑपरेशन सिंदूर के नाम ने प्रेरित किया है। मुजफ्फरपुर जिले के कन्हार गाँव के निवासी हिमांशु राज ने भी अपनी बेटी का नाम सिंदूरी रखा है। मुजफ्फरपुर के जाफरपुर के रहने वाले पवन सोनी ने अपने नवजात बेटे का नाम सिंदूर रखा है। मुजफ्फरपुर के एक निजी अस्पताल के कर्मचारी ने बताया कि 7 मई को उनके शिशु देखभाल केंद्र में 12 बच्चों का जन्म हुआ, और बाद में उस केंद्र का नाम ऑपरेशन सिंदूर रख दिया गया।