बिहार सरकार ने 2025 चुनाव से पहले मछुआरों के लिए 'नाव एवं जाल पैकेज योजना' शुरू की है। इसके तहत नाव और जाल की खरीद पर 90% तक अनुदान मिलेगा। इस कदम को मुकेश सहनी के वोट बैंक को प्रभावित करने की एक चुनावी रणनीति माना जा रहा है।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी बढ़ते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मछुआरा समाज को आर्थिक मजबूती देने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना का ऐलान किया है। ‘नाव एवं जाल पैकेज वितरण योजना’ के तहत राज्य के मछुआरों को नाव और जाल खरीदने पर इकाई लागत का 90% तक अनुदान दिया जाएगा। इसे सरकार की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस योजना का सीधा असर वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) और उनके प्रमुख मुकेश सहनी के वोट बैंक पर पड़ सकता है, क्योंकि मछुआरा समाज वीआईपी का महत्वपूर्ण आधार है।

मछुआरों को अब सिर्फ 16700 में मिलेगा ₹1,54,400 का बोट

इस योजना के तहत परंपरागत मछुआरों, मत्स्यजीवी सहयोग समिति के सदस्यों, महिला मछुआरों और एससी-एसटी वर्ग को प्राथमिकता दी जाएगी। उदाहरण के लिए, लकड़ी की नाव की कीमत ₹1,24,400 है, जिस पर 90% सब्सिडी मिलेगी। वहीं एफआरपी बोट पैकेज की लागत ₹1,54,400 और फेका जाल पैकेज की कीमत ₹16,700 तय की गई है। इसका मतलब है कि लाभुक को वास्तविक कीमत का केवल 10% हिस्सा ही अपनी जेब से देना होगा। सरकार ने इसे पारदर्शी बनाने के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया अनिवार्य की है। इच्छुक मछुआरे 31 दिसंबर 2025 तक fisheries.bihar.gov.in पर आवेदन कर सकेंगे। आवेदन के लिए बैंक खाता, आधार कार्ड और मत्स्य संबंधी प्रमाण जैसे दस्तावेज जरूरी होंगे।

चयन प्रक्रिया जिला स्तर पर बने उप मत्स्य निदेशक की अध्यक्षता वाली समिति के माध्यम से पूरी होगी। योजना के लागू होने से ग्रामीण आय में वृद्धि की उम्मीद है, क्योंकि मछुआरों को बेहतर उपकरण मिलने से मत्स्य उत्पादन बढ़ेगा। इससे न केवल मछुआरा परिवारों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि बिहार का मत्स्य उद्योग भी नई दिशा में आगे बढ़ेगा। इसके अतिरिक्त, योजना के माध्यम से महिलाओं और पिछड़े वर्ग के मछुआरों को भी सीधा लाभ मिलेगा, जिससे सामाजिक और आर्थिक समावेशिता भी बढ़ेगी।

मछुआरा समाज के वोट बैंक में क्या है सेंध है?

राजनीतिक विश्लेषक इसे नीतीश कुमार की चुनावी रणनीति के रूप में देख रहे हैं। मछुआरा समाज वीआईपी का मुख्य वोट बैंक है, लेकिन अब जब जेडीयू सीधे इस वर्ग को आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए सामने आया है, तो मुकेश सहनी और उनकी पार्टी के वोटों में सेंध लगने की संभावना बढ़ गई है। चुनाव से पहले इस तरह की योजनाओं का ऐलान जनता के मन में सरकार के प्रति सकारात्मक संदेश भेजता है और सत्ता पक्ष की सक्रियता को उजागर करता है।

नीतीश कुमार ने इस योजना को सिर्फ आर्थिक सहायता तक सीमित न रखते हुए, इसे सामाजिक और राजनीतिक महत्व के साथ पेश किया है। नाव और जाल पैकेज न केवल मछुआरों को आधुनिक उपकरण मुहैया कराएगा, बल्कि उनके जीवन स्तर और उत्पादन क्षमता में भी सुधार लाएगा। इस कदम को राज्य की मत्स्य उद्योग में सुधार और ग्रामीण आय बढ़ाने के लिए एक ठोस पहल माना जा रहा है।

नीतीश कुमार की यह पहल चुनावी रणनीति और विकास कार्यों का मिश्रण है। ‘नाव और जाल पैकेज योजना’ से हजारों मछुआरा परिवारों को फायदा होगा, राज्य का मत्स्य उद्योग मजबूत होगा और चुनावी समीकरण भी बदल सकते हैं। इस योजना के माध्यम से यह स्पष्ट संदेश जाता है कि जेडीयू अब मछुआरा समाज के लिए सक्रिय कदम उठा रही है, जिससे मुकेश सहनी और उनके वीआईपी वोट बैंक के लिए चुनौती बढ़ गई है।