Kishanganj Assembly Election 2025: किशनगंज विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर। मुस्लिम और यादव वोटर निर्णायक, देखना होगा किसकी होती है जीत।

Kishanganj Assembly Election 2025: किशनगंज विधानसभा सीट (Kishanganj Assembly Seat) बिहार के सीमांचल इलाके में राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक सीट मानी जाती है। पिछले तीन चुनावों (2010, 2015, 2020) में कांग्रेस पार्टी ने यहां लगातार जीत हासिल की है। वर्तमान विधायक इज़हारुल हुसैन (INC) हैं, जिन्होंने 2020 में बेहद नज़दीकी मुकाबले में जीत दर्ज की थी। किशनगंज की राजनीति में मुस्लिम मतदाता बहुल हैं, जो कुल मतदाताओं का लगभग 70% हिस्सा बनाते हैं। इसके अलावा यादव, कुशवाहा और दलित मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

पिछली जीत और हार: आंकड़ों में विश्लेषण

2020 किशनगंज चुनाव

  •  विजेता: इज़हारुल हुसैन (INC)-61,078 वोट
  •  हारने वाले: स्वीटी सिंह (BJP)-59,697 वोट
  •  हार-जीत का अंतर: केवल 1,381 वोट
  • खास बात: यह चुनाव बेहद कांटे की टक्कर वाला रहा और कांग्रेस का दबदबा बना रहा।
  • नोट: पोस्ट ग्रेजुएट इज़हारुल हुसैन पर एक आपराधिक मुकदमा है। उनके पास कुल 66 लाख रुपए की चल-अचल संपत्ति है और 79 हजार रुपए का कर्जा है।

2015 किशनगंज चुनाव

  •  विजेता: डॉ. मोहम्मद जावेद (INC)-66,522 वोट
  •  हारने वाले: स्वीटी सिंह (BJP)-57,913 वोट
  • खास बात: कांग्रेस ने लगभग 8,609 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की।

2010 किशनगंज चुनाव

  •  विजेता: डॉ. मोहम्मद जावेद (INC)-38,867 वोट
  •  हारने वाले: स्वीटी सिंह (BJP)-38,603 वोट
  • खास बात: सिर्फ 264 वोटों का अंतर, कांटे की टक्कर और रोमांचक नतीजा।

किशनगंज विधानसभा में सामाजिक और जातीय समीकरण

  • 1. मुस्लिम मतदाता बहुल हैं (लगभग 70%)।
  • 2. यादव और कुशवाहा मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
  • 3. कांग्रेस ने मुस्लिम-यादव गठबंधन को साधकर लगातार जीत दर्ज की।
  • 4. बीजेपी लगातार इस समीकरण को तोड़ने की कोशिश करती रही।
  • 5. सीमांचल क्षेत्र की राजनीतिक संवेदनशीलता हमेशा चुनावों को रोचक बनाती है।

2025: क्या कहता है अब तक का आंकड़ा?

  • 1. कांग्रेस की पकड़: पिछले तीन चुनावों में लगातार जीत।
  • 2. बीजेपी की चुनौती: स्वीटी सिंह की लगातार दूसरी हार और वोट शेयर बढ़ाने की रणनीति।
  • 3. मतदाता संख्या और मतदान: किशनगंज विधानसभा में लाखों सक्रिय मतदाता हैं।
  • 4. जातीय और सामाजिक समीकरण: मुस्लिम, यादव और दलित वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

किशनगंज विधानसभा सीट (Kishanganj Assembly Seat) बिहार की राजनीति में हमेशा से अहम रही है। 2025 में भी कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है। जातीय समीकरण, स्थानीय मुद्दे और मतदाता की प्राथमिकताएं तय करेंगी कि अगला विजेता कौन होगा।