केवटी विधानसभा चुनाव 2025 में कांटे की टक्कर तय मानी जा रही है। 29 वोट से जीती सीट का इतिहास, 30% मुस्लिम और 14% दलित वोटर—क्या BJP बचा पाएगी अपनी सीट या RJD कर लेगी बड़ी वापसी? रहस्य बरकरार है…

Keoti Assembly Election 2025: केवटी विधानसभा चुनाव 2025 (Keoti Assembly Election 2025) बिहार की सबसे हॉट सीटों में से एक है। यहां का हर चुनाव नतीजा बिहार की सियासत की दिशा तय करता है। दरभंगा जिले की यह सीट हमेशा से बीजेपी और आरजेडी के बीच कड़ी टक्कर का मैदान रही है। यहां के चुनावी इतिहास में ऐसा भी हुआ जब जीत-हार का फैसला सिर्फ 29 वोटों से तय हुआ। यही वजह है कि हर बार केवटी सीट पूरे बिहार की राजनीति का केंद्र बन जाती है।

केवटी विधानसभा में क्या है जातीय समीरकण?

यहां लगभग 2.89 लाख वोटर हैं, जिनमें मुस्लिम वोटर करीब 30.9% (89,494 वोटर) और दलित वोटर करीब 14.24% (41,243 वोटर) हैं। यही वोटर हर चुनाव में समीकरण बदलते रहे हैं। अब सवाल यह है कि 2025 में किसके पक्ष में जनता फैसला सुनाएगी-BJP या RJD?

2010 में 29 वोट से जीत: क्या इतिहास फिर दोहराएगा खुद को?

2010 के चुनाव में केवटी सीट पर बीजेपी के अशोक कुमार यादव और आरजेडी के फराज फातमी आमने-सामने थे। नतीजे इतने करीबी रहे कि बीजेपी केवल 29 वोटों से जीत पाई। अशोक कुमार यादव को 45,791 वोट मिले जबकि फराज फातमी को 45,762 वोट। यह बिहार विधानसभा चुनाव के इतिहास का सबसे रोमांचक मुकाबला था। 

2015 में क्यों जीती RJD?

2015 का चुनाव पूरी तरह से महागठबंधन की लहर में लड़ा गया। इस बार आरजेडी ने फराज फातमी को टिकट दिया और उन्होंने बीजेपी के अशोक कुमार यादव को हराया। फराज फातमी को 68,601 वोट मिले जबकि अशोक कुमार यादव को 60,771 वोट। यानी हार-जीत का अंतर था 7,830 वोटों का। इस चुनाव में मुस्लिम और यादव वोटरों के ध्रुवीकरण ने आरजेडी की जीत तय की।

2020 में क्यों हारी RJD और जीती BJP?

2020 का चुनाव बीजेपी के लिए बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। इस बार बीजेपी ने डॉ. मुरारी मोहन झा को उम्मीदवार बनाया। उन्होंने आरजेडी के बड़े नेता और पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी को हराया। मुरारी मोहन झा को 76,372 वोट मिले जबकि अब्दुल बारी सिद्दीकी को 71,246 वोट। यानी अंतर रहा 5,126 वोटों का। एनडीए की मजबूत चुनावी रणनीति और मोदी-नीतीश फैक्टर ने यहां बीजेपी की जीत सुनिश्चित की।

क्या 2025 में फिर बदलेगा समीकरण?

केवटी विधानसभा में वोटिंग प्रतिशत हमेशा करीब 54-56% के बीच रहा है। 2020 में यह 56.46% था। मुस्लिम और दलित वोटरों का बड़ा हिस्सा किस ओर जाएगा, यही नतीजा तय करेगा। अब सवाल यह है कि क्या बीजेपी अपनी जीत दोहरा पाएगी या आरजेडी एक बार फिर वापसी करेगी?

केवटी विधानसभा का चुनावी ग्राफ

  •  2010: BJP जीती (29 वोट का अंतर)
  •  2015: RJD जीती (7,830 वोट का अंतर)
  •  2020: BJP जीती (5,126 वोट का अंतर)

खास बात: 41,243 दलित वोटर यहां हर चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 2025 में यह वोट बैंक बीजेपी, RJD या किसी नए समीकरण की ओर जाएगा अभी स्पष्ट नहीं है। आंकड़ों पर गौर करें तो केवटी सीट पर कभी बीजेपी जीतती है, तो कभी RJD। यहां नतीजे हमेशा सस्पेंस से भरे होते हैं। यही वजह है कि 2025 का चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाला है।