गोरेयाकोठी विधानसभा चुनाव 2025 में भाजपा और राजद आमने-सामने हैं। 2010 से 2020 तक यहां वोटों का अंतर कड़ा रहा है। यादव, भूमिहार और मुस्लिम मतदाता खेल बदल सकते हैं। क्या 2025 में इतिहास दोहराएगा या नई लहर आएगी?

Goreyakothi Assembly Election 2025: बिहार की राजनीति में गोरेयाकोठी विधानसभा (Goreyakothi Assembly Election 2025) एक अहम सीट मानी जाती है। यहां का चुनाव हमेशा त्रिकोणीय या कड़े मुकाबले वाला रहा है। 2010 से लेकर 2020 तक इस सीट पर भाजपा, राजद और जदयू के बीच जबरदस्त टक्कर देखने को मिली है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि 2025 में मतदाता किसे चुनेंगे – क्या भाजपा अपना दबदबा बनाए रखेगी, या राजद-जदयू मिलकर खेल पलट देंगे?

2010: भाजपा ने दिखाई ताकत

2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पहली बार इस सीट पर बड़ी जीत दर्ज की। भाजपा प्रत्याशी भूमेंद्र नारायण सिंह को 42,533 वोट मिले, जबकि राजद के इंद्रदेव प्रसाद को 28,512 वोट मिले। जीत का अंतर रहा 14,021 वोटों का। यह नतीजा भाजपा के लिए निर्णायक साबित हुआ।

2015: महागठबंधन ने पलटा खेल

2015 में जब राजद-जदयू-कांग्रेस साथ आए तो तस्वीर बदल गई। राजद के सत्यदेव प्रसाद सिंह ने 70,965 वोट पाकर जीत दर्ज की। भाजपा के देवेश कांत सिंह को 63,314 वोट मिले और वे हार गए। इस बार जीत का अंतर करीब 7,651 वोटों का था। यह चुनाव साफ दिखाता है कि जब यादव-मुस्लिम और अन्य महागठबंधन वोट एकजुट होते हैं तो भाजपा को कठिनाई होती है।

2020: भाजपा की जोरदार वापसी

2020 में मुकाबला और रोमांचक हुआ। भाजपा प्रत्याशी देवेश कांत सिंह ने 87,368 वोट हासिल किए और राजद की नूतन देवी को हराया। राजद प्रत्याशी को 75,477 वोट मिले और हार का अंतर रहा 11,891 वोटों का। इस नतीजे से भाजपा ने दिखाया कि जमीनी स्तर पर उनकी पकड़ मजबूत हो रही है।

नोट: ग्रेजुएट तक की पढ़ाई करने वाले देवेश कांत सिंह पर कोई क्रिमिनल केस का चार्ज नहीं हैं। उनकी कुल संपत्ति करीब 3.87 करोड़ रुपए हैं और उन पर 56 लाख का कर्जा भी है।

जातीय समीकरण का खेल

  • गोरेयाकोठी में यादव, भूमिहार और मुस्लिम मतदाता सबसे ज्यादा प्रभाव रखते हैं।
  • यादव: परंपरागत रूप से राजद का समर्थन
  • भूमिहार: भाजपा का मजबूत वोट बैंक
  • मुस्लिम: राजद और जदयू में बंटे हुए

खास बात: इसके अलावा राजपूत, कुशवाहा, पासवान, नाई और अति पिछड़ा वर्ग भी चुनावी समीकरण को प्रभावित करते हैं।

2025 का चुनाव: दिलचस्प मुकाबला तय

2025 में यहां जदयू को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। एक ओर भाजपा का बढ़ता जनाधार, दूसरी ओर महागठबंधन की सीट शेयरिंग अगर राजद के पक्ष में जाती है, तो यादव-मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है। भाजपा इस बार किसी स्थानीय भूमिहार या पिछड़े वर्ग के नेता को टिकट दे सकती है, जबकि राजद यादव-मुस्लिम समीकरण साधने की कोशिश करेगा।