दरौली विधानसभा चुनाव 2025: इस सीट पर 2010 में भाजपा ने वामपंथी गढ़ तोड़ा, लेकिन 2015 और 2020 में CPI(ML) ने कब्ज़ा बरकरार रखा। अब 2025 में क्या लाल झंडा लहराएगा या भाजपा फिर से बना लेगी समीकरण?
Darauli (SC) Assembly Election 2025: सिवान जिले की दरौली विधानसभा सीट बिहार की राजनीति का सबसे संवेदनशील इलाका मानी जाती है। यह सीट लंबे समय से सीपीआई(एमएल) के प्रभाव में रही है और इसे लाल झंडे की मजबूत ज़मीन कहा जाता है। हालांकि 2010 में भाजपा ने यहां वामपंथी किले में सेंध लगाई थी। अब सवाल यह है कि 2025 के चुनाव में दरौली की जनता किसे मौका देगी – सीपीआई(एमएल) को लगातार तीसरी जीत या भाजपा को वापसी?
2020 का दरौली चुनाव परिणाम
- 2020 में सीपीआई(एमएल) के सत्यदेव राम ने भाजपा के रामायण मांझी को हराया।
- सत्यदेव राम (CPI(ML)L)- 81,067 वोट
- रामायण मांझी (BJP)- 68,948 वोट
- जीत का अंतर-12,119 वोट
नोट: सीपीआई(एमएल) के सत्यदेव राम पर पांच आपराधिक मुकदमे हैं। 10 वीं पास सत्यदेव राम की कुल संपत्ति 30.59 लाख रुपए हैं लेकिन उन पर कोई कर्जा नहीं है।
2015 का दरौली चुनाव परिणाम
- 2015 में वामपंथियों ने वापसी की और भाजपा को कड़ी टक्कर दी।
- सत्यदेव राम (CPI(ML)L) - 49,576 वोट
- रामायण मांझी (BJP)-39,992 वोट
- जीत का अंतर-9,584 वोट
2010 का दरौली चुनाव परिणाम
- 2010 का चुनाव बड़ा उलटफेर लेकर आया, जब भाजपा ने वामपंथी गढ़ पर कब्ज़ा कर लिया।
- रामायण मांझी (BJP)-40,993 वोट
- सत्यदेव राम (CPI(ML)L) -33,987 वोट
- जीत का अंतर-7,006 वोट
मतदाता और जातीय समीकरण
- कुल मतदाता-2,78,901
- पुरुष मतदाता-1,45,112
- महिला मतदाता- 1,33,773
- दलित वोटर-लगभग 25% (निर्णायक भूमिका में)
- यादव, कुशवाहा और पिछड़ा वर्ग-महत्वपूर्ण संख्या
- ब्राह्मण, राजपूत, मुस्लिम और भूमिहार-सीमित लेकिन असरदार
खास बात: यहां दलित और पिछड़े वर्ग वामपंथियों की सबसे बड़ी ताकत रहे हैं, जबकि भाजपा ब्राह्मण-राजपूत और ओबीसी वोटरों को जोड़ने की रणनीति पर काम करती रही है।
राजनीतिक इतिहास और विचारधारा की लड़ाई
दरौली विधानसभा सीट सिर्फ चुनावी मैदान नहीं, बल्कि किसान आंदोलन, दलित अधिकार और वर्गीय संघर्षों का प्रतीक रही है। यहां के चुनावों को हमेशा विचारधारा की जंग माना गया है – एक ओर वामपंथी आंदोलन और दूसरी ओर भाजपा की जातीय राजनीति।
2025 का चुनावी रण
2025 में दरौली में मुकाबला फिर से सीपीआई(एमएल) बनाम भाजपा होने की संभावना है। भाजपा नए चेहरे पर दांव लगा सकती है, जबकि वामपंथियों की ओर से सत्यदेव राम या सच्चिदानंद यादव को मैदान में उतारा जा सकता है। अगर महागठबंधन में तालमेल बिगड़ा तो यहां त्रिकोणीय मुकाबला भी हो सकता है।