Bihar Politics News: बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे पर महागठबंधन और NDA में रणनीति बन रही है। चिराग पासवान की पार्टी 70 सीटों की मांग कर सकती है, जिससे NDA में खींचतान की संभावना है।

Chirag Paswan in Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं बचा है। ऐसे में सीटों के तालमेल को लेकर महागठबंधन और एनडीए दोनों ही षडयंत्र रच रहे हैं। महागठबंधन में लगातार बैठकें हो रही हैं, वहीं एनडीए के कई नेता कह रहे हैं कि सीट शेयरिंग में कोई दिक्कत नहीं आएगी। लोकसभा की तरह विधानसभा में भी हम मिल बैठकर फैसला करेंगे।

हालांकि, क्या यह इतना आसान है? यह समझने वाली बात है। यह अलग बात है कि गठबंधन में सभी दल ज्यादा से ज्यादा सीटें चाहते हैं, लेकिन एनडीए में बीजेपी और जेडीयू जो फॉर्मूला बनाने की कोशिश कर रहे हैं, क्या उस पर चिराग पासवान और मांझी राजी होंगे? यह बड़ा सवाल उठने लगा है।

ये हो सकता है एनडीए का सीट शेयरिंग फॉर्मूला

बिहार चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए में अभी तक कोई औपचारिक बैठक नहीं हुई है, लेकिन बीजेपी के विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, जो फॉर्मूला तय हो सकता है, उसमें 243 सीटों में बीजेपी को 102 सीटें, जेडीयू को 102 सीटें, चिराग पासवान की पार्टी को 28 सीटें, जीतन राम मांझी की पार्टी को 7 सीटें और उपेंद्र कुशवाहा को 4 सीटें।अब यह भी कहा जा रहा है कि अगर चिराग पासवान नहीं माने तो जेडीयू और बीजेपी को एक-एक सीट का नुकसान हो सकता है और चिराग को 30 सीटें दी जा सकती हैं।

चिराग पासवान 70 सीटों की मांग कर सकते हैं

सवाल उठ रहा है कि क्या चिराग पासवान 30 सीटों पर भी राजी होंगे? लोक जन शक्ति पार्टी के एक बड़े नेता- रामविलास ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पार्टी की ओर से तय किया गया है कि अगर एनडीए की बैठक होगी तो पार्टी 70 सीटों की मांग करेगी और सूची देगी।

लोजपा-आर 35 सीटों से कम पर राजी नहीं होगी

नेता ने कहा कि लोजपा हर हाल में 40 सीटें लेने का दबाव बनाएगी, लेकिन अगर 40 पर सहमति नहीं बनी तो पार्टी कम से कम 35 सीटें जरूर लेगी। 35 सीटों से एक भी सीट कम नहीं लेने का फैसला हुआ है। कहा जा रहा है कि हम 35 सीटों से कम पर राजी नहीं हो सकते, उसके लिए हमें कुछ भी करना होगा।

क्या भाजपा-जदयू को 100 सीटों से कम पर राजी होना पड़ेगा?

अगर चिराग पासवान की पार्टी का यह दावा बरकरार रहता है तो एनडीए में कुछ सीटों के लिए रस्साकशी जरूर हो सकती है। भाजपा और जदयू को कहीं न कहीं 100 सीटों से नीचे आना पड़ सकता है। तभी एनडीए मजबूत रह सकता है। क्योंकि मांझी की पार्टी भी 15 से 20 सीटों की मांग कर रही है, लेकिन अगर चिराग को 35 सीटें मिलती हैं तो उस फॉर्मूले के हिसाब से मांझी को 7 सीटें दी जा सकती हैं।

पिछली बार साल 2020 में जेडीयू के खाते से जीतन राम मांझी को 7 सीटें दी गई थीं जिसमें उन्होंने 4 सीटों पर जीत दर्ज की थी। अब अगर गणित देखें तो चिराग पासवान को 35 सीटें, जीतन राम मांझी को 7 सीटें और उपेंद्र कुशवाहा को 4 सीटें दी जाती हैं तो कुल सीटों की संख्या 46 हो जाती है। ऐसे में जेडीयू और बीजेपी 197 सीटों का बंटवारा कर सकती है और 98-99 का फॉर्मूला तय हो सकता है। आपको साफ तौर पर बता दें कि यह खबर विश्वसनीय सूत्रों के आकलन पर आधारित है। किसी भी पार्टी की तरफ से कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया गया है।