Bihar Chunav 2024: बिहार चुनाव 2025 से पहले ओवैसी की पार्टी AIMIM ने महागठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव दिया है। मुस्लिम वोटों की राजनीति के बीच राजद दुविधा में है। क्या तेजस्वी यादव मानेंगे ओवैसी की बात?

Bihar Election 2025: जैसे-जैसे बिहार चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक दलों की पैंतरेबाजी भी बढ़ती जा रही है। अब देखिए, मुस्लिम वोटों की राजनीति करने वाली असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने बिहार में आरजेडी की अगुवाई वाले महागठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव दिया है। AIMIM ने इसके पीछे तर्क दिया है कि वह ऐसा इसलिए कर रही है ताकि धर्मनिरपेक्ष वोटों का बंटवारा रोका जा सके। AIMIM कुछ भी कहे, लेकिन उसने यह प्रस्ताव बहुत सोच-समझकर दिया है। इसलिए तेजस्वी यादव की पार्टी अभी तक इस बारे में कुछ नहीं कह पाई है। दरअसल, ओवैसी की पार्टी लालू प्रसाद यादव की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनता दल को दुविधा में डालना चाहती है और इसके पीछे बिहार में रहने वाले 17 फीसदी मुसलमानों का वोट है।

बिहार में 17 फीसदी मुस्लिम आबादी

2023 में हुए जातिगत सर्वेक्षण के मुताबिक बिहार में 17 फीसदी मुस्लिम आबादी है। अभी तक माना जाता रहा है कि बिहार के मुस्लिम मतदाताओं की पहली पसंद लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल है। हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने राजद को तगड़ा झटका दिया और 5 सीटें जीतने में सफल रही। फिर भी पूरे राज्य में मुसलमानों की पहली पसंद राजद ही है। इसमें कोई शक नहीं है। राजद के MY समीकरण में मुसलमान पहले नंबर पर आते हैं।

32 सीटों पर मुस्लिम मतदाता का होता है दबदबा!

AIMIM ने जो पासा फेंका है, उसे देखते हुए आपको एक और बात समझनी चाहिए। बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से 32 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाता जीत-हार तय करते हैं और अपना प्रभाव रखते हैं। इन 32 विधानसभा क्षेत्रों में बिहार की 30 फीसदी मुस्लिम आबादी रहती है और इस 30 फीसदी आबादी पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव का प्रभाव है। कुछ दिन पहले जब कांग्रेस ने सीट बंटवारे को लेकर अपनी बात रखी थी, तो वह इन 32 सीटों पर बराबर की हिस्सेदारी चाहती थी। अब ओवैसी की पार्टी का मुख्य उद्देश्य भी इसी 30 फीसदी आबादी को लुभाना है।

क्या आरजेडी के वोट बैंक पर पड़ेगा असर

दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव एआईएमआईएम के प्रस्ताव पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। उन्हें पता है कि कांग्रेस और एआईएमआईएम आरजेडी की 'आत्मा' में हिस्सेदारी मांग रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो आरजेडी के आधार वोट बैंक पर असर पड़ेगा और फिर क्या होगा, यह लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से बेहतर कौन जान सकता है। एआईएमआईएम ने भी बहुत सोच-समझकर महागठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव दिया है।

ओवैसी की पार्टी ने बिहार में खेलेगी बड़ा खेल

दरअसल, असदुद्दीन ओवैसी ने भी बिहार के मुसलमानों के बीच कुछ पैठ बना ली है। अब अगर आरजेडी के नेता ओवैसी की पार्टी के प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं लेते हैं और उन्हें महागठबंधन में शामिल नहीं करते हैं तो ओवैसी को यह कहने का मौका मिल जाएगा कि आरजेडी और कांग्रेस के नेता बीजेपी विरोधी वोटों का बंटवारा रोकने के लिए गंभीर नहीं हैं। इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी को बीजेपी की बी टीम के तौर पर काम करने के आरोपों से भी राहत मिल सकती है। इस तरह ओवैसी की पार्टी ने बिहार में बड़ा दांव खेला है।