सार
Bihar Auto e-Rickshaw Ban: 1 अप्रैल से बिहार में स्कूली बच्चों के लिए ऑटो और ई-रिक्शा पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। पटना और मुंगेर में ऑटो चालक सड़क पर उतरे, फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू।
Bihar Auto e-Rickshaw Ban: बिहार में 1 अप्रैल 2025 से स्कूली बच्चों को ऑटो और ई-रिक्शा से लाने-ले जाने पर पूर्ण प्रतिबंध लागू कर दिया गया है। इस फैसले के विरोध में ऑटो चालक यूनियन सड़क पर उतर आई है। मुंगेर और पटना समेत कई शहरों में ऑटो चालकों ने आंदोलन शुरू कर दिया है और सरकार से इस आदेश को वापस लेने की डिमांड कर रहे हैं।
यातायात प्रभाग ने राज्यभर में लागू किया ये आदेश
बिहार पुलिस मुख्यालय के यातायात प्रभाग ने राज्यभर में इस आदेश को लागू किया है, जिसमें स्कूली बच्चों को ऑटो और ई-रिक्शा से विद्यालय आने जाने पर रोक लगाई गई है। मंगलवार से यह प्रतिबंध प्रभावी हो चुका है, जिससे हजारों ऑटो चालकों की कमाई पर संकट मंडराने लगा है। विरोध में आटो चालक सड़क पर उतर आए हैं। मुंगेर एक आटो चालक कहते हैं कि हमारा रोज़गार इसी पर निर्भर है। EMI भरने के लिए स्कूली बच्चों को लाना-ले जाना जरूरी था। अब सरकार ने रोक लगा दी है तो गुजारा कैसे होगा? पटना के एक अन्य ऑटो चालक कहते हैं कि पहले ही डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाकर हमसे नई गाड़ियां खरीदवाई गईं, अब नए आदेश से हमारी मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
फैसला क्यों लिया गया?
सरकार ने यह कदम बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया है। प्रशासन का कहना है कि ऑटो और ई-रिक्शा में क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाया जाता था, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ रही थी। परिवहन विभाग के मुताबिक, कई ऑटो चालक सुरक्षा नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। ओवरलोडिंग के कारण बच्चों की जान जोखिम में थी। इसलिए अब जिला पुलिस और परिवहन विभाग मिलकर इस आदेश को सख्ती से लागू करवा रहे हैं।
क्या कहते हैं पैरेंट्स?
इस आदेश के बाद स्कूल जाने वाले बच्चों के माता-पिता की परेशानियां भी बढ़ गई हैं। पटना के एक पैरेंट ने कहा कि स्कूल बसें बहुत महंगी हैं और उनका किराया मनमाना होता है। कुछ बच्चे बस में घंटों सफर करने को मजबूर हो जाते हैं। ऐसे में ऑटो या ई-रिक्शा ही हमारे लिए सस्ता और सुविधाजनक साधन था।
पटना में धरना देंगे ऑटो चालक
पटना में ऑटो यूनियन ने बुधवार को गर्दनीबाग में धरना देने की घोषणा की है। राजधानी पटना में लगभग 5,000 ऑटो और ई-रिक्शा स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने का काम करते हैं। प्रतिबंध के कारण हजारों चालकों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है। यूनियन का कहना है कि सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। यूनियन ने कहा कि अगर सरकार ने आदेश वापस नहीं लिया, तो विरोध प्रदर्शन और तेज होगा।