भाजपा नेता अश्विनी चौबे ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वे अपराध और भ्रष्टाचार के विरोध में 11 अक्टूबर को भूख हड़ताल करेंगे। साथ ही उन्होंने चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की भी घोषणा की है।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले सियासी हलचल तेज हो गई है। इसी बीच बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने अपनी ही पार्टी और सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने अपराध और भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए 11 अक्टूबर को एक दिन की भूख हड़ताल करने का ऐलान किया है। भूख हड़ताल का स्थान उनके अनुसार जेपी आवास होगा।

अपराध और भ्रष्टाचार पर सख्त चेतावनी

अश्विनी चौबे ने कहा कि वे अपराध और तानाशाही के खिलाफ यह कदम उठा रहे हैं ताकि राजनीति में सुधार और सुचिता कायम रहे। उन्होंने कहा, “राजनीति में सुचिता बनाना बेहद जरूरी है। अगर किसी नेता पर अपराध या भ्रष्टाचार के आरोप हैं, तो उन्हें आडवाणी जी की तरह जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए।”

चौबे ने अपने बयान में बिना किसी का नाम लिए हुआ बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को चेतावनी देते हुए कहा कि पार्टी में कुछ लोग पिछले दरवाजे से आते हैं। कुछ सुधर जाते हैं, लेकिन कुछ सुधरने का नाम नहीं लेते। “अगर मेरे बेटे या किसी रिश्तेदार पर भी आरोप लगे, तो मैं यही सलाह दूंगा कि आडवाणी जी को देखो। उन्हें भी अपने पद से हटना पड़ा था, जब तक आरोप पूरी तरह खारिज नहीं हुए थे।”

प्रशांत किशोर और राजनीति में सुचिता

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने प्रशांत किशोर द्वारा लगाए गए आरोपों पर भी तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि किसी पर केवल आरोप लगाकर बड़ा नेता नहीं बना जा सकता। अगर आरोप सही हैं, तो यह मामला केवल अखबारों तक क्यों सीमित रहेगा। इसे राज्यपाल, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक पहुंचाना चाहिए और जरूरत पड़ने पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए।

चुनावी राजनीति से सन्यास

अश्विनी चौबे ने इस मौके पर अपने राजनीतिक सन्यास की घोषणा भी कर दी। उन्होंने कहा, “अब मैं किसी भी लोकसभा या विधानसभा चुनाव में नहीं उतरूंगा। चुनावी राजनीति से दूर रहूंगा, लेकिन पार्टी कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय रहूंगा।” हालांकि उन्होंने बिहार में एनडीए की संभावनाओं को लेकर आश्वस्त किया। चौबे ने कहा, “एनडीए फिर से पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएगी, लेकिन भ्रष्टाचार और अपराध पर किसी भी तरह का समझौता नहीं होगा।”

अश्विनी चौबे के इस बयान के बाद पार्टी और राज्य की सियासी हलचल में इजाफा हो गया है। चुनाव से पहले वरिष्ठ नेता का बागी रुख बीजेपी के भीतर खलबली मचा सकता है, और यह कदम आने वाले दिनों में राजनीति में नई चर्चाओं को जन्म देगा।