बेंगलुरु की जीत के जश्न में मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत, हज़ारों घायल। क्या लापरवाही थी इसकी वजह? #RCB #भगदड़
18 साल के इंतज़ार के बाद खुशी का आगाज़, आँसुओं में ख़त्म. गोल्डन ट्रॉफी फैन्स के साथ उठाने का सपना देखने वाली टीम, डेढ़ दशक से ज़्यादा समय से दिल के करीब रही टीम को इतिहास रचते देखने के लिए बेताब लोग. लापरवाही, गैरज़िम्मेदारी, और नतीजा 11 जानें गईं. अस्पताल में चार गुना ज़्यादा लोग.
'हमें इतनी भीड़ की उम्मीद नहीं थी' - एक लाइन का बयान, और हाथ धो लिए BCCI, IPL अधिकारियों ने, बलि का बकरा बन गई रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु, कर्नाटक क्रिकेट असोसिएशन और पुलिस. जान की कीमत यहाँ लाखों में आंकी जा रही है. आखिर में ताली बजाने वाले अब विराट कोहली के खून के प्यासे हैं, #ArrestKohli ट्रेंड कर रहा है.
हादसे के बाद फटाफट एक्शन लेकर चेहरा चमकाना आसान है, ज़िम्मेदारी लेना मुश्किल. यहीं पर वो ज़रूरी सवाल उठता है. असली गुनहगार कौन है? सिस्टम, वहाँ पहुँचे लोग, या बेंगलुरु टीम?
कहते हैं हादसे के बाद पोस्टमार्टम नहीं करना चाहिए. लेकिन विराट कोहली को जेल में देखना चाहने वालों को, बेंगलुरु को मौत बांटने वाली टीम कहने वालों को जवाब मिलना चाहिए. क्या हुआ, ये देखने पर जवाब साफ हो जाएगा.
बेंगलुरु की जीत के बाद विराट कोहली ने फैन्स के साथ जश्न मनाने की बात कही थी. इसलिए फैन्स को विक्ट्री परेड की उम्मीद रही होगी. लेकिन 4 तारीख की सुबह ही बेंगलुरु ट्रैफिक पुलिस ने साफ कर दिया था कि विक्ट्री परेड नहीं होगी, जश्न स्टेडियम में ही होगा.
यहीं से शुरू होती है गड़बड़ी. दोपहर 3:30 बजे RCB मैनेजमेंट ने ऐलान किया कि विक्ट्री परेड शाम 5 बजे शुरू होगी और फिर स्टेडियम में जश्न होगा. टीम ऐसा ऐलान करे और सरकार को पता न हो, ये कैसे हो सकता है? तब तक बेंगलुरु की सड़कों पर हज़ारों फैन्स जमा हो चुके थे.
विधान सौध से चिन्नास्वामी स्टेडियम तक परेड का ऐलान था. शाम को कोहली समेत टीम बेंगलुरु एयरपोर्ट पहुँची. कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने स्वागत किया. स्टेडियम में एंट्री के लिए फ्री टिकट और बिना टिकट एंट्री की अफवाहें फैलीं. लेकिन 3 बजे तक स्टेडियम फुल हो चुका था.
अधिकारियों ने स्टेडियम के गेट 3, 12 और 18 बंद कर दिए. फिर शुरू हुई धक्का-मुक्की. विधान सौध में 4:30 बजे सीएम सिद्धारमैया ने स्वागत किया. डॉ. अंबेडकर रोड पर एक लाख लोग जमा थे.
सरकार कह रही है कि उन्हें इतनी भीड़ की उम्मीद नहीं थी, लेकिन उनके ही आंकड़ों में 50,000 लोग थे. भीड़ कंट्रोल के लिए सिर्फ 5,000 पुलिसवाले लगाए गए. 18 साल बाद बेंगलुरु ने ट्रॉफी जीती थी, देशभर से फैन्स आएंगे, ये अंदाज़ा क्यों नहीं लगाया गया?
क्रिकेट के दीवाने देश में, खासकर विराट कोहली की टीम की जीत पर, ये अंदाज़ा न लग पाना, क्या ये लापरवाही नहीं है?
हर मिनट स्टेडियम में भीड़ बढ़ रही थी, फिर बारिश भी शुरू हो गई. अंदर जाने के लिए धक्का-मुक्की बढ़ गई. लोग हांफने लगे. गेट तोड़ दिए गए, गाड़ियां टूट गईं, दीवारें गिर गईं... लोग जान बचाने के लिए भागे.
एक एम्बुलेंस में 10 से ज़्यादा लोग थे. मौत से लड़ते फैन्स, सांस लेने के लिए तड़पते लोग... और चिन्नास्वामी में बेंगलुरु टीम कुछ फैन्स के साथ जश्न मना रही थी.
बाहर लोग अपनों की जान बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे थे. हादसे की खबर टीम को मिली, जश्न रुक गया, सब वापस लौट गए. कोहली और टीम मैनेजमेंट ने दुख जताया.
पुलिस कमिश्नर समेत कई अफसरों पर एक्शन हुआ. RCB के मार्केटिंग अफसर निखिल सोसाले समेत 4 लोग गिरफ्तार हुए. कोहली समेत कई खिलाड़ियों को निशाना बनाया जा रहा है. सोशल मीडिया पर खून से सनी IPL ट्रॉफी की तस्वीरें हैं.
डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया पर बेंगलुरु की जीत का राजनीतिक फायदा उठाने का आरोप है. इतनी जल्दबाज़ी क्यों, सही निर्देश कौन देगा, ये सवाल उठ रहे हैं. इन सबका जवाब विराट कोहली या बेंगलुरु टीम नहीं है.
2024 T20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद इंडियन टीम का मुंबई में स्वागत हुआ था. वहाँ 3-4 लाख लोग थे. वहाँ ऐसा हादसा नहीं हुआ क्योंकि वहाँ भीड़ कंट्रोल अच्छा था. बेंगलुरु में ऐसा नहीं हुआ. जो नहीं होना चाहिए था, वो हुआ. ये भारतीय खेल इतिहास का काला दिन है.
फैन्स के बिना, खेल प्रेमियों के बिना कोई खेल नहीं चल सकता, ये खिलाड़ियों को भी पता है. फैन फाइट के नाम पर कोहली और टीम को कटघरे में खड़ा करने के बजाय, ज़िम्मेदारी से हादसे पर गौर करना ज़रूरी है. ऐसा दोबारा न हो, ये सुनिश्चित करना होगा.