Rudraksha Behind Story: रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। जो कोई भी इसे धारण करता है, उसकी किस्मत पूरी तरह से बदल जाती है। क्या आपको पता है कि आखिर रुद्राक्ष की उत्पति कैसे हुई? नहीं तो आइए जानते हैं उसके बारे में यहां।
Bhagwan Shiv Rudraksh: भगवान शिव से जुड़ी हर एक चीज अपने आप में खास है। रुद्राक्ष को भगवान शिव का एक अंश माना गया है। हिंदू धर्म में इसे काफी पवित्र बताया गया है। रुद्राक्ष अपने आप में एक ऊर्जा का स्रोत है, जिसे पहनने से भक्तों के मन को शांति मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि इसे धारण करने वाले भक्तों पर भगवान शिव की अलग ही कृपा बरसती है। भगवान शिव से जुड़े रुद्राक्ष को लेकर अलग-अलग कहानियां बताई गई हैं। उन कहानियों में ये बताया गया है कि आखिर कैसे हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति। आइए जानते हैं उन कहानियों के बारे में यहां।
भगवान शिव के आंसू से बना रुद्राक्ष
रुद्राक्ष दो शब्दों से बना है पहला रुद्र और दूसरा अक्षि। रुद्र का मतलब है भगवान शिव और अक्षि का मतलब है भगवान शिव की आंख। एक कथा के मुताबिक जब भोलेनाथ की पत्नी सती ने खुद को हवन कुंड में समाहित कर दिया था, उस वक्त भगवान शिव ने रौद्र रूप धारण किया था। उन्होंने पत्नी को खोने के शोक और गुस्से में आकर तांडव करना शुरू कर दिया था, जिसकी वजह से ब्रह्मांड का विनाश होना शुरू हो गया था। महादेव को रोकने के लिए भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र ने सती के शरीर के टुकड़े करना शुरू कर दिए थे, जोकि धरती पर गिरते चले गए। जब भगवान शिव के शरीर पर केवल सती के शरीर का भस्म रह गया था, उसे देखकर वो रो पड़े और जहां-जहां उनके आंसू गिरे वहां-वहां रुद्राक्ष की उत्पति हुई।
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युद्ध के दौरान हुई रुद्राक्ष की उत्पति
वहीं, एक कथा में बताया गया है कि एक बार राक्षसों और देवताओं के बीच में युद्ध शुरू हो गया था। उस दौरान असुरों की विजय होने लगी। देवताओं की स्थिति देखकर भगवान शिव ने करुणावश होकर एक आंसू बहाया, जो कि रुद्राक्ष के पेड़ के रूप में बदल गया।
ध्यान के बाद जब महादेव ने खोली आंख
तीसरी कथा के मुताबिक कई सालों तक भगवान शिव गहन ध्यान में थे, जिसके चलते उनका पूरा शरीर शून्य स्थिति में पहुंच गया। जब उन्होंने आंखें खोलीं तो हर्ष के आंसू उनके जमीन पर गिर गए, जिसके चलते रुद्राक्ष के पेड़ की स्थापना हुई। इसीलिए रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है।
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