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Roop Chaudas 2025: इस शुभ मुहूर्त में करें अभ्यंग स्नान, हमेशा कायम रहेगी सुंदरता
Roop Chaudas 2025: रूप चौदस 2025 पर अभ्यंग स्नान का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर को सुबह 5:13 बजे से 6:25 बजे तक रहेगा। जानें रूप चौदस का महत्व, पूजा विधि और विशेष योग के बारे में।

19 अक्टूबर को मनाई जाएगी रूप चौदस
सनातन परंपरा में, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रूप चतुर्दशी या रूप चौदस के नाम से जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष यह पावन पर्व 19 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। धनतेरस के दूसरे दिन मनाई जाने वाली रूप चौदस पर स्नान और दीपदान दोनों का ही बहुत महत्व माना जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, इस दिन अभ्यंग स्नान किया जाता है। रूप चौदस पर अभ्यंग स्नान कब किया जाएगा और इसका धार्मिक महत्व क्या है? आइए विस्तार से जानें।
रूप चौदस (अभ्यंग स्नान) का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, रूप चतुर्दशी का पावन पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यह शुभ तिथि 19 अक्टूबर 2025 को दोपहर 1:51 बजे से शुरू होकर 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 3:44 बजे तक रहेगी। चूंकि रूप चौदस पर अभ्यंग स्नान हमेशा चंद्रोदय के समय और चतुर्थी तिथि को सूर्योदय से पहले किया जाता है, इसलिए इसका शुभ समय 20 अक्टूबर 2025 को सुबह 5:13 बजे से 6:25 बजे तक रहेगा।
रूप चतुर्दशी के विशेष योग
वर्ष 2025 में, नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा। यह योग अत्यंत शुभ माना जाता है जिसके दौरान कोई भी प्रयास सफल होता है। इसके अतिरिक्त, अमृत सिद्धि योग शाम 5:49 बजे से अगले दिन सुबह 6:25 बजे तक रहेगा। इंद्र योग भी सुबह से 2:05 बजे तक रहेगा। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र शाम 5:49 बजे तक रहेगा, जिसके बाद हस्त नक्षत्र आरंभ होगा।
रूप चतुर्दशी के उपाय
हिंदू मान्यता के अनुसार, रूप चौदस का पर्व तन और मन दोनों की सुंदरता को निखारने का पर्व है। इस दिन सौंदर्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए, सूर्योदय से पहले उठकर बेसन, हल्दी, चंदन और दूध से बना लेप लगाना चाहिए। तिल के तेल से मालिश करने के बाद, "ॐ रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि" मंत्र का जाप करते हुए पवित्र जल से स्नान करना चाहिए। शारीरिक सौंदर्य के उपाय पूरे करने के बाद, शाम को दीपक जलाकर सुख-समृद्धि की कामना करनी चाहिए।
अभ्यंग स्नान का महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार, रूप चतुर्दशी पर किया गया अभ्यंग स्नान तन और मन दोनों को स्वस्थ और सुंदर बनाता है। आयुर्वेद में अभ्यंग स्नान का अत्यधिक महत्व माना गया है। अभ्यंग स्नान हमेशा ब्रह्म मुहूर्त, यानी सूर्योदय से पहले किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि अभ्यंग स्नान शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। इसके शुभ प्रभाव से व्यक्ति का मन शुद्ध होता है।