Hariyali Teej Mantra: हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के साथ-साथ मंत्रों का जाप करना भी शुभ माना जाता है। विवाहित महिलाएं, पुरुष-कुंवारी कन्याएं भी उन मंत्रों का जाप कर सकती हैं। आइए जानते हैं उन मंत्रों के बारे में यहां।

Hariyali Teej Mantra: हरियाली तीज का त्योहार माता पार्वती और भगवान शिव से जुड़ा हुआ है। इस दिन शादीशुदा महिलाएं और कुंवारी कन्याएं व्रत रखती हैं। हरियाली तीज के खास मौके पर भोलेनाथ के मंदिर शानदार तरीके से सजाए जाते हैं। मंत्रों के उच्चारण और पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-पाठ किए जाते हैं। भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़े कुछ ऐसे मंत्र हरियाली तीज पर आपको जपने चाहिए, जिससे आपकी सारी परेशानियां हल हो सकती हैं। आइए जानते हैं उन मंत्रों के बारे में यहां।

भगवान शिव के शक्तिशाली मंत्र (Bhagwan Shiv Mantra)

1. ॐ नमः शिवाय

2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

3. ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः

4. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

5. ऊं पषुप्ताय नमः

माता पार्वती से जुड़े शक्तिशाली मंत्र (Mata Parvati Mantra)

- सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

- कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।

- ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा।

- ॐ गौरीशंकराय नमः।

- ॐ नमः मनोभिलाषितं वरं देहि वरं ह्रीं ॐ गोरा पार्वती देव्यै नमः

हरियाली तीज की आरती (Hariyali Teej Aarti Hindi)

जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।

ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता।।

जय पार्वती माता।

अरि कुल पद्मा विनाशिनी, जय सेवक त्राता।

जग जीवन जगदम्बा, हरिहर गुण गाता।।

जय पार्वती माता।

सिंह को वाहन साजे, कुंडल है साथा।

देव वधु जहं गावत, नृत्य कर थाथा।।

जय पार्वती माता।

सत्युग शील सुसुन्दर, नाम सती कहलाता।

हेमांचल घर जन्मी, सखियन रंगराता।।

जय पार्वती माता।

शुम्भ-निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्याता।

सहस भुजा तनु धरिके, चक्र लियो हाथा।।

जय पार्वती माता।

क्यों मनाया जाता है हरियाली तीज का त्यौहार?

हरियाली तीज को लेकर ऐसा कहा जाता है कि ये वो महीना है जब माता पार्वती की कठोर तपस्या और त्याग को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए थे। इसके बाद उन्होंने सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के वक्त माता पार्वती को अपनी "अर्धांगिनी" के तौर पर स्वीकारा था। तब से लेकर अबतक हर साल विवाहित महिलाएं इस व्रत को रखती आ रही है। यहां तक की कुवारी कन्या भी अपने मनचाहे पति को पाने के लिए ये व्रत रख सकती है। इस दिन सुहागन महिलाएं 16 श्रृंगार करके माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना करती है।