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हरियाली तीज पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, महादेव -पार्वती की बरसेगी कृपा!

हरियाली तीज का त्योहार 27 जुलाई के दिन मनाया जाने वाला है। इस दिन शादीशुदा महिलाएं और कुंवारी कन्याएं व्रत रखती है, ताकि भगवान शिव और माता पार्वती की उन पर कृपा बनी रहें। आइए जानते हैं क्या है हरियाली तीज की व्रत कथा।

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Deepakshi Sharma
Published : Jul 26 2025, 03:20 PM IST
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हरियाली तीज पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, महादेव  पार्वती की बरसेगी कृपा
Image Credit : Gemini

हरियाली तीज पर जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, महादेव -पार्वती की बरसेगी कृपा

सावन का पवित्र महीना चल रहा है, जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा पूरी श्रद्धा के साथ की जाती है। इस बार हरियाली तीज का त्योहार 27 जुलाई के दिन मनाया जाने वाला है। सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तिथि को ये त्योहार पूरी रीति-रिवाज के साथ मनाया जाता है। इस दिन शादीशुदा महिलाएं और कुंवारी कन्याएं व्रत रखती हैं। जब भी कोई व्रत रखा जाता है उसके साथ उसकी व्रत कथा भी पढ़ी या फिर सुनी जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं हरियाली तीज की व्रत कथा यहां।

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भगवान शिव के विरोध में प्रजापति दक्ष
Image Credit : Gemini

भगवान शिव के विरोध में प्रजापति दक्ष

प्रसिद्ध कथा के मुताबिक माता पार्वती अपने पूर्वजन्म में राजा दक्ष प्रजापति के घर पुत्री सती के रूप में पैदा हुई थी। देवी सती अपने पिता की बहुत लाड़ली थी, लेकिन प्रजापति दक्ष भगवान शिव को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे। प्रजापति दक्ष देवी सती और भगवान विष्णु का विवाह करवाना चाहते थे, लेकिन देवी सती तो भगवान शिव के साथ शादी के बंधन में बंधना चाहती थी। आखिरकर प्रजापति दक्ष ने सती और भगवान शिव का विवाह करवा दिया, लेकिन खुद इस शादी से खुश नहीं थे। एक दिन प्रजापति दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें सभी देवी-देवताओं, नाग, ऋषियों आदि को आमंत्रित किया गया, सिवाए देवी सती और भगवान शिव के। इस बारे में देवी सती को पता लगा। उन्हें इस बात का काफी दुख हुआ। देवी सती बिना बुलाए अपने पिता द्वारा किए जा रहे यज्ञ में शामिल होने के लिए जिद करने लगी। महादेव के लाख समझाने पर भी वो नहीं मनी।

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हवन कुंड में कूदी सती
Image Credit : our own

हवन कुंड में कूदी सती

प्रजापति दक्ष ने यज्ञ के दौरान देवी सती और महादेव की बहुत बेइज्जती की। देवी सती ये सहन नहीं कर पाई, उन्हें इस बात की चिंता सताने लगी कि आखिर वो किस हक से महादेव के पास वापस लौटेंगी। ऐसे में दुखी और क्रोधित होकर देवी सती हवन कुंड में कूद गई और सती हो गईं। महादेव को इस बात का एहसास हो गया। उन्होंने गुस्से में आकर वीरभद्र का रूप धारण कर लिया। भगवान शिव ने प्रजापति दक्ष का यज्ञ नष्ट कर दिया। इसके बाद महादेव घोर तपस्या में लीन हो गए। देवी सती के 108 जन्म हुए। 107 जन्म वो महादेव को अपने पति के रूप में पाने के लिए तपस्या करती रही, लेकिन सफल नहीं हो पाई। 108 वें जन्म में देवी सती ने माता पार्वती के रूप में जन्म लिया।

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पत्नी के रूप में महादेव ने देवी पार्वती को अपनाया
Image Credit : Getty

पत्नी के रूप में महादेव ने देवी पार्वती को अपनाया

देवी पार्वती बनने के बाद उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या करना शुरू कर दी। उन्होंने सावन के महीने में मृतिका से शिवलिंग का निर्माण किया और भगवान शिव की भक्ति में लीन हो गई। माता की तपस्या देखकर भगवान शिव हरियाली तीज के दिन उनके सामने प्रकट हुए और उन्हें वरदान दिया कि वो उनकी अर्धांगिनी बनेगीं। इसीलिए कहा जाता है कि शादीशुदा महिलाएं इस दिन व्रत करती हैं तो उनका शादीशुदा जीवन खुशहाल बन जाता है। वहीं, कुंवारी कन्याओं को मन चाहा वर प्राप्त होता है।

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हरियाली तीज व्रत नियम
Image Credit : Getty

हरियाली तीज व्रत नियम

हरियाली तीज व्रत के कुछ नियम होते हैं जिनका पालन करना जरूरी होती है। अगर आप हरियाली तीज का निर्जला व्रत रख रही हैं, तो हमेशा आपको ऐसे ही व्रत करना होगा। भगवान शिव और माता पार्वती की रातभर जाकर ध्यान करना होगा। किसी के लिए अपशब्द नहीं निकालने होंगे। 16 श्रृंगार करना होगा।

About the Author

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Deepakshi Sharma
दीपाक्षी शर्मा। नवंबर 2024 से एशियानेट न्यूज हिंदी से जुड़ी हैं। देश और दुनिया की खबरों के साथ-साथ एंटरटेनमेंट, धर्म-आध्यात्म, पूजा-पाठ, वास्तु-ग्रह दोष जैसे टॉपिक पर अच्छा लिख लेते हैं। इन्होने राजनीतिक विज्ञान में एमए पास किया है। मास कम्युनिकेशन में पीजी डिप्लोमा के बाद पत्रकारिता कर रही हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स, पिंकविला, बॉलीवुड लाइफ, पंजाब केसरी जैसी बङी संस्थानों में काम करने का अनुभव है।
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