Guru Gobind Singh Jayanti 2025: गुरु गोविंदसिंह सिक्खों के दसवें गुरु थे। उन्होंने सनतान धर्म की रक्षा करते हुए न सिर्फ स्वयं बल्किअपने पूरे परिवार का बलिदान दे दिया। इस बार 27 दिसंबर, शनिवार को गुरु गोविंदसिंह की जयंती है।
Guru Gobind Singh Quotes: हर साल पौष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर सिक्खों के दसवें गुरु गोविंदसिंहजी की जयंती बहुत ही आदर और श्रद्धापूर्वक मनाई जाती है। गुरु गोविंदसिंहजी ने ही सनातन धर्म की रक्षा के लिए खालसा पंथ की स्थापना की और मुगलों को कईं बार पराजित भी किया। इस बार गुरु गोविंदसिंह की जयंती 27 दिसंबर, शनिवार को है। इस खास मौके पर पढ़िए गुरु गोविंदसिंह के कुछ महत्वपूर्ण कोट्स और विचार, जो मुश्किल समय में भी आपको हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहेंगे…
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‘सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं, तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं’
अर्थ- इन पंक्तियों में गुरु गोविंदसिंह की देश और धर्म के प्रति बलिदान की भावना नजर आती है। उनके अनुसार अगर आप धर्म के मार्ग पर हो तो सामने कितने भी विरोधी क्यों न हो, आप पीछे मत हटिए। धर्म के मार्ग पर चलने वाली एक छोटी सी चिड़िया भी बाज का मुकाबला कर सकती है।
‘साच कहों सुन लेह सभी, जिन प्रेम कियो तिन ही प्रभ पायो’
अर्थ- इस पंक्ति में गुरु गोविंदसिंह कहते हैं ‘मेरी बात सब सुन लो, मैं सच कहता हूं, जिसने प्रेम किया है, उसने ही प्रभु को पाया है। यानी ईश्वर की प्राप्ति केवल उन्हीं लोगों को होती है, जो सच्चा प्रेम करता है।’
‘मानस की जात सबै एकै पहचानबो’
अर्थ- पूरी मानव समाज एक है। भले ही हम जातियों में बंटे हैं लेकिन इन सभी के ऊपर मानव जाति है। इसलिए हमें किसी से भी भेदभाव नहीं करना चाहिए और सभी को समान मानना चाहिए।
‘चूं कार अज हमह हीलते दर गुजश्त, हलाल अस्त बुरदन ब शमशीर दस्त’
अर्थ- युद्ध को न चुनते हुए शांति को चुनना चाहिए लेकिन जब न्याय के लिए तलवार उठानी पड़े तो पीछे मत हटिए। संसार में न्याय से बढ़कर और कुछ भी नहीं है। न्याय न मिले तो विद्रोह करना गलत नहीं है।
‘देहि शिवा बरु मोहि इहै, सुभ करमन ते कभुं न टरों।’
अर्थ- इस पंक्ति में गुरु गोबिंदसिंह जी कहते हैं कि हे भगवान, मुझे ऐसा वरदान दीजिए कि मैं कभी भी शुभ कर्म यानी धर्म के मार्ग से पीछे न हटूं। सदैव न्याय के मार्ग पर चलता रहूं।
