Geeta Updesh: श्रीमद्भगवद गीता हिंदू धर्म के सबसे पवित्र ग्रंथों में से एक है। इस ग्रंथ में कईं ऐसे लाइफ मैनेजमेंट टिप्स बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर प्रोफेशनल लाइफ में आने वाली अनेक परेशानियों से बचा जा सकता है।

Geeta Updesh for Professional Life: वैसे तो हिंदू धर्म में अनेक धर्म ग्रंथ हैं, लेकिन इन सभी में श्रीमद्भागवत गीता का विशेष स्थान है क्योंकि इसे स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मुख से कहा है। आज सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी गीता को लाइफ मैनेजमेंट के रूप में पढ़ाया जा रहा है। गीता में हमारी प्रोफेशनल लाइफ से जुड़ी परेशानियों का समाधान भी छिपा है, जरूरत है तो बस उसे समझने की। आगे जानें गीता के इन लाइफ मैनेजमेंट के टिप्स के बारे में…

श्लोक 1
योगस्थ: कुरु कर्माणि संग त्यक्तवा धनंजय।
सिद्धय-सिद्धयो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।
अर्थ- कर्म न करने का आग्रह त्यागकर, यश-अपयश के विषय में समबुद्धि होकर योगयुक्त होकर, कर्म कर, (क्योंकि) समत्व को ही योग कहते हैं।

प्रोफेशनल लाइफ मैनेजमेंट टिप्स
इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं व्यक्ति को अपना कर्म करते समय उससे होने वाले लाभ हानि के बारे में विचार नहीं करना चाहिए। कोशिश सिर्फ यही रहे कि हम जो भी करें, पूरी ईमानदारी से करें। प्रोफेशनल लाइफ में भी हमें इस बात को फॉलो करना चाहिए तभी हमें सक्सेस मिल सकती है।

श्लोक 2
तानि सर्वाणि संयम्य युक्त आसीत मत्परः
वशे हि यस्येन्द्रियाणि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।
अर्थ- मनुष्य को अपनी संपूर्ण इंद्रियों को वश में करके अपने हर कर्म को मुझे समर्पित कर देना चाहिए, जिससे उसके मन में ये भाव न रहें कि ये काम मैंने किया है। इसी से उसकी बुद्धि स्थिर हो सकती है।

प्रोफेशनल लाइफ मैनेजमेंट टिप्स
जो व्यक्ति अपने किए सभी अच्छे कामों को पहले ईश्वर को समर्पित करता है, सफलता जरूर मिलती है। प्रोफेशनल लाइफ में देखें तो हर व्यक्ति अपने हिस्से का काम तो करता है लेकिन वो इसका क्रेडिट स्वयं लेना चाहते है जबकि गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि बिना क्रेडिट के किए गए काम में सफलता मिलने के चांस ज्यादा होते हैं।

श्लोक 3
विहाय कामान् य: कर्वान्पुमांश्चरति निस्पृह:।
निर्ममो निरहंकार स शांतिमधिगच्छति।।
अर्थ- जो मनुष्य सभी इच्छाओं व कामनाओं को त्याग कर अहंकार रहित होकर अपने कर्तव्यों का पालन करता है, उसे ही सफलता प्राप्त होती है।

प्रोफेशनल लाइफ मैनेजमेंट टिप्स
यहां भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि मन में किसी भी प्रकार की इच्छा व कामना को रखकर मनुष्य को कभी सफलता नहीं मिल सकती। सफलता के लिए सबसे पहले मनुष्य को अपने मन से इच्छाओं को मिटाना होगा। अपनी पसंद के परिणाम की इच्छा हमें कमजोर कर देती है। इसलिए यदि प्रोफेशलन लाइफ में सफलता पाना चाहते हैं तो अपने मन से परिणाम की इच्छा मिटा दें।

श्लोक 4
न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्।
कार्यते ह्यश: कर्म सर्व प्रकृतिजैर्गुणै:।।
अर्थ- कोई भी मनुष्य क्षण भर भी कर्म किए बिना नहीं रह सकता। सभी प्राणी प्रकृति के अधीन हैं। प्रकृति अपने अनुसार हर व्यक्ति से कर्म करवाती है और परिणाम भी देती है।

प्रोफेशनल लाइफ मैनेजमेंट टिप्स
इस श्लोक को प्रोफेनशल लाइफ मैनेजमेंट के नजरि से देखें तो हम समझ पाएंगे कि संसार में रहने वाले सभी जीव और मनुष्य आदि प्रकृति के अधीन हैं, वो हमसे अपने अनुसार कर्म करवा ही लेगी और उसका परिणाम भी मिलेगा ही। इसलिए हमें कभी भी अपने मन में अकर्म का भाव नहीं लाना चाहिए।अपनी क्षमता और विवेक के आधार पर हमें निरंतर कर्म करते रहना चाहिए।

श्लोक 5
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतु र्भूर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि ।।
अर्थ- कर्म करने में तेरा अधिकार है। उसके फलों के विषय में मत सोच। इसलिए तू कर्मों के फल का हेतु मत हो और कर्म न करने के विषय में भी तू आग्रह न कर।

प्रोफेशनल लाइफ मैनेजमेंट टिप्स
श्रीकृष्ण इस श्लोक में अर्जुन से कहते हैं कि कोई भी काम करते समय उससे फल पाने की इच्छा मन में नही होनी चाहिए। बिना फल की इच्छा से किया गया काम ही हमें श्रेष्ठ फल प्रदान करता है। उस कर्म का फल हमें कब मिलेगा, कितना मिलेगा, ये सब हमें नहीं सोचना चाहिए।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।