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Raksha Bandhan 2025: क्या है भद्रा, रक्षाबंधन पर ही क्यों आती है? जानें हर बात

Bhadra Kya Hai: लगभग हर साल रक्षाबंधन पर भद्रा का संयोग बनता है, जिसके चलते राखी बांधने के शुभ मुहूर्त प्रभावित होते हैं। बहुत कम लोगों को पता है कि भद्रा आखिर होती क्या है और क्यों इसे अशुभ मानते हैं।

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Manish Meharele
Published : Jul 24 2025, 11:34 AM IST | Updated : Jul 24 2025, 11:39 AM IST
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जानें भद्रा से जुड़ी हर बात
Image Credit : Gemini and Freepik

जानें भद्रा से जुड़ी हर बात

Bhadra On Rakshabandhan 2025: भद्रा के बारे में हम सभी न जरूर सुना होगा। ज्योतिष शास्त्र में इसे अशुभ समय बताया गया है। लगभग हर साल रक्षाबंधन पर भद्रा का संयोग बनता है, जिसका असर राखी बांधने के मुहूर्त पर होता है। बहुत से लोग भद्रा को नक्षत्र समझते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। ज्योतिष शास्त्र में भद्रा के बारे में विस्तार से बताया गया है। आगे जानिए क्या है भद्रा, कैसे हुई इसकी उत्पत्ति, क्यों इसे मानते हैं अशुभ…

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क्या है भद्रा?
Image Credit : gemini

क्या है भद्रा?

ज्योतिष शास्त्र में पंचांग का विशेष महत्व है। किसी भी काम के लिए शुभ मुहूर्त देखने के लिए पंचांग का ही उपयोग किया जाता है। पंचांग के 5 अंग माने गए हैं, ये हैं- तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। तिथि के आधे भाग को करण कहते हैं। करण की संख्या 11 है। इनमें से एक करण का नाम है विष्टि है, जिसे भद्रा भी कहते हैं।

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रक्षाबंधन 2025 पर कब से कब तक रहेगी भद्रा?
Image Credit : gemini

रक्षाबंधन 2025 पर कब से कब तक रहेगी भद्रा?

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, इस बार रक्षाबंधन का पर्व 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा। इसके एक दिन पहले यानी 8 अगस्त, शुक्रवार को भद्रा की शुरूआत दोपहर 02 बजकर 12 मिनिट से शुरू होगी जो रात 01 बजकर 52 मिनिट तक रहेगी। 9 अगस्त को भद्रा का बिल्कुल प्रभाव नहीं रहेगा, जिसके चलते पूरे दिन रक्षाबंधन पर्व मनाया जा सकेगा।

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रक्षाबंधन पर ही क्यों बनता है भद्रा का संयोग?
Image Credit : Gemini and Freepik

रक्षाबंधन पर ही क्यों बनता है भद्रा का संयोग?

ज्योतिषियों के अनुसार, भद्रा का संयोग कुछ विशेष तिथियों पर ही बनता है जैसे-कृष्णपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी तिथि और शुक्लपक्ष की अष्टमी व पूर्णिमा तिथि। रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है, इसलिए हर साल रक्षाबंधन पर विशेष रूप से भद्रा का संयोग बनता है। चूंकि भद्रा को अशुभ मानते हैं इसलिए इस दौरान राखी बांधने की मनाही होती है।

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क्यों अशुभ है भद्रा?
Image Credit : gemini

क्यों अशुभ है भद्रा?

ज्योतिष शास्त्र की माने तो भद्रा तीनों लोकों में विचरती रहती है। एक निश्चित समय पर भद्रा पृथ्वी पर वास करती है, इस दौरान ये शुभ कामों में बाधा डालती है और अगर कोई शुभ कार्य इस दौरान किए जाए तो उसका अशुभ फल मिलता है। इसलिए भद्रा के दौरान रक्षाबंधन पर्व मनाने की मनाही होती है।

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भद्रा में क्या कर सकते हैं-क्या नहीं?
Image Credit : gemini

भद्रा में क्या कर सकते हैं-क्या नहीं?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भद्रा काल के दौरान कानूनी मुकदमा करना शुभ होता है, इससे जीत मिलने की संभावना अधिक रहती है। साथ ही शत्रु से युद्ध, राजनीति से जुड़े काम और ऑपरेशन के लिए भी भद्रा को शुभ माना जाता है। भद्रा के दौरान विवाह, मुण्डन, गृह प्रवेश, यज्ञोपवित आदि नहीं करना चाहिए। साथ ही होलिका दहन और रक्षाबंधन भी इस दौरान न करें।

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किसकी पुत्री है भद्रा?
Image Credit : gemini

किसकी पुत्री है भद्रा?

धर्म ग्रंथों के अनुसार, भद्रा सूर्यदेव की पुत्री और शनि की बहन हैं। पैदा होते ही भद्रा संसार को खाने के लिए दौड़ी। ये देख सभी देवता भयभीत हो गए और ब्रह्माजी के पास पहुंचें। ब्रह्मदेव ने भद्रा को शांत किया और तीनों लोकों में उसके घूमने का समय निश्चित किया साथ ही करण में स्थान दिया।

Disclaimer 
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

About the Author

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Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया में 19 साल का अनुभव, अभी एशियानेट न्यूज हिंदी के डिजिटल में काम कर रहे हैं। महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। ज्योतिष-हस्तरेखा, उपाय, वास्तु, कुंडली जैसे टॉपिक पर पकड़ है। यह जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक हैं । करियर की शुरुआत स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की। 2010 से 2019 तक दैनिक भास्कर डॉट कॉम में धर्म डेस्क पर काम किया है।
रक्षा बंधन
 
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