सार
Achala Ekadashi 2025: ज्येष्ठ मास में अपरा एकादशी का व्रत किया जाता है, इसे अचला एकादशी भी कहते हैं। इस बार ये व्रत मई 2025 में किया जाएगा। धर्म ग्रंथों में इस व्रत का विशेष महत्व बताया गया है।
Apra Ekadashi 2025 Kab Hai: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। साल में कुल 24 एकादशी व्रत किए जाते हैं। इन सभी के नाम और महत्व अलग-अलग हैं। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अचला और अपरा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी पर भगवान विष्णु के त्रिविक्रम रूप की पूजा करने की परंपरा है। इस बार अचला एकादशी का व्रत मई 2025 में किया जाएगा। आगे जानिए अचला एकादशी की सही डेट, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त आदि की जानकारी…
कब है अचला एकादशी 2025? (Achala Ekadashi 2025 Date)
पंचांग के अनुसार, इस बार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 22 मई, गुरुवार की रात 01 बजकर 12 मिनिट से शुरू होकर 23 मई, शुक्रवार की रात 10 बजकर 30 मिनिट तक रहेगी। चूंकि एकादशी तिथि का सूर्योदय 23 मई को होगा, इसलिए इसी दिन अपरा एकादशी का व्रत किया जाएगा। इस दिन प्रीति, आयुष्मान, सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि नाम के 4 शुभ योग बनेंगे, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
अचला एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त (Achala Ekadashi Shubh Muhurat)
- सुबह 07:25 से 09:05 तक
-सुबह 11:57 से दोपहर 12:50 तक
- दोपहर 12:23 से 02:02 तक
- शाम 05:21 से 07:00 तक
अचला एकादशी व्रत-पूजा विधि (Achala Ekadashi Puja Vidhi)
- 23 मई, शुक्रवार की सुबह स्नान करके मन ही मन में व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें यानी किसी के बारे में गलत विचार मन में न लाएं। एक समय फलाहार कर सकते हैं।
- ऊपर बताए गए शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की पूरी तैयार कर लें। घर में किसी स्थान को सुनिश्चित कर वहां अच्छे से साफ-सफाई करें और गंगाजल या गौमूत्र छिड़ककर उसे पवित्र कर लें।
- शुभ मुहूर्त में उस स्थान पर लकड़ी का एक पटिया (बाजोट) रखकर उसके ऊपर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान की प्रतिमा को तिलक लगाएं और हार पहनाएं।
- शुद्ध घी का दीपक लगाएं। वस्त्र के रूप में भगवान को रक्षा सूत्र यानी पूजा का धागा अर्पित करें। इसके बाद कुंकुम, चावल, रोली, अबीर, गुलाल, फूल आदि चीजें एक-एक करके अर्पित करें।
- पूजा के दौरान ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करते रहें। पूजा के बाद भगवान को भोग अर्पित करें, इसमें तुलसी के पत्ते जरूर डालें। 11 दीपक जलाकर भगवान की आरती करें।
- रात को सोएं नहीं, भजन-कीर्तन करें। अगले दिन सुबह ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और दक्षिणा देकर पारणा करें। उसके बाद स्वयं भोजन करें। इस तरह व्रत करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।
भगवान विष्णु की आरती (Lord Vishnu Aarti Lyrics In Hindi)
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे।
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे।
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता। स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे।
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ओम जय जगदीश हरे।
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे।
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे।
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे।
Disclaimer
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