सार

Parshuram Jayanti 2025: परशुराम भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारों में से एक हैं। हर साल अक्षय तृतीया पर इनका जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 30 अप्रैल, बुधवार को मनाया जाएगा।

 

Parshuram Jayanti 2025: हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर परशुराम जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 30 अप्रैल, बुधवार को है। मान्यता है कि भगवान परशुराम आज भी जीवित हैं और किसी गुप्त स्थान पर रहकर तपस्या कर रहे हैं। परशुराम भगवान विष्णु के 6ठे अवतार हैं। उन्होंने 21 बार धरती को क्षत्रिय विहिन कर दिया था। परशुराम जयंती पर इनकी विशेष पूजा की जाती है। आगे जानिए भगवान परशुराम की पूजा विधि, आरती और शुभ मुहूर्त…

परशुराम जयंती 2025 के शुभ मुहूर्त

- सुबह 10:47 से दोपहर 12:24 तक
- दोपहर 03:36 से शाम 05:13 तक
- शाम 05:13 से रात 08:49 तक
- रात 08:13 से 09:36 तक

भगवान परशुराम की पूजा विधि

- 30 अप्रैल, बुधवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल-चावल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- शुभ मुहूर्त में भगवान परशुराम का चित्र या प्रतिमा एक बाजोट यानी लकड़ी के पटिए के ऊपर स्थापित करें।
- सबसे पहले भगवान को कुमकुम से तिलक लगाएं, फूलों की माला पहनाएं और शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- इसके बाद वस्त्र, जनेऊ, नारियल, फूल आदि सभी चीजें एक-एक करके भगवान को अर्पित करते जाएं।
- अंत में भगवान को भोग लगाएं और आरती करें। व्रत करने वाले अनाज न खाएं, वे फलाहार कर सकते हैं।
- संभव हो तो इस दिन नीचे लिखे मंत्र का जाप भी करें-
ऊं जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि, तन्नो परशुराम प्रचोदयात्

भगवान परशुराम की आरती 

शौर्य तेज बल-बुद्धि धाम की॥
रेणुकासुत जमदग्नि के नंदन।
कौशलेश पूजित भृगु चंदन॥
अज अनंत प्रभु पूर्णकाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥
नारायण अवतार सुहावन।
प्रगट भए महि भार उतारन॥
क्रोध कुंज भव भय विराम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥
परशु चाप शर कर में राजे।
ब्रह्मसूत्र गल माल विराजे॥
मंगलमय शुभ छबि ललाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥
जननी प्रिय पितृ आज्ञाकारी।
दुष्ट दलन संतन हितकारी॥
ज्ञान पुंज जग कृत प्रणाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥
परशुराम वल्लभ यश गावे।
श्रद्घायुत प्रभु पद शिर नावे॥
छहहिं चरण रति अष्ट याम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥


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