सार
Narasimha Avtar Katha: भगवान विष्णु ने अधर्म का नाश करने के लिए अनेक अवतार लिए। नृसिंह भी इनमें से एक है। हर साल वैशाख मास में नृसिंह चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था।
Baghwan Vishnu Ne Kyo Liya Narasimha Avtar: वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नृसिंह चतुर्दशी कहते हैं। मान्यता है कि इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप में अवतार लिया था। इस पर्व को नृसिंह जयंती भी कहते हैं। इस बार ये पर्व 11 मई, रविवार को मनाया जाएगा। धर्म ग्रंथों के अनुसार, नृसिंह अवतार सतयुग के चौथे चरण में हुआ था। ये भगवान विष्णु के रौद्र अवतारों में से एक है। आखिर क्यों भगवान विष्णु को नृसिंह अवतार लेना पड़ा, आगे जानें इसकी कथा…
कौन था हिरण्यकश्यप?
श्रीमद्भागवत के अनुसार, सतयुग में हिरण्यकश्यप नाम का एक दैत्य था। उसने तपस्या करके ब्रह्माजी से वरदान मांगा कि ‘मेरी मृत्यु मनुष्य-देवता से न हो, किसी अस्त्र-शस्त्र से भी न हो और न ही दिन में न रात में।’ वरदान पाकर उसने स्वर्ग पर भी अधिकार कर लिया। वह भगवान के भक्तों को कष्ट देने लगा।
कौन था भक्त प्रह्लाद?
हिरण्यकश्यप के पुत्र का नाम प्रह्लाद था, वह भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन प्रह्लाद भगवान की भक्ति पर अडिग रहा। हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने का प्रयास किया, लेकिन भगवान विष्णु ने उसे बचा लिया। ये देख हिरण्यकश्यप और क्रोधित हो गया।
भगवान विष्णु ने कब और कैसे लिया नृसिंह अवतार?
हिरण्यकश्यप ने क्रोध में आकर प्रह्लाद को मारना चाहा तब एक खंबे को तोड़कर भगवान विष्णु नृसिंह रूप में प्रकट हुए। इस अवतार में उनका स्वरूप आधे मनुष्य और आधे शेर का था। भगवान नृसिंह ने दिन और रात के बीच यानी संध्या के समय, हवा और धरती के बीच यानी अपनी गोद में लेटाकर बिना अस्त्र- शस्त्र से यानी अपने ही नाखूनों से हिरण्यकश्यप का वध कर दिया। इस तरह भगवान विष्णु ने अपने भक्त की रक्षा की। नृसिंह चतुर्दशी पर ये कथा सुनने को भय दूर होता है।
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