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Nag Panchami 2025: नागपंचमी कब, 29 या 30 जुलाई,? जानें मंत्र, मुहूर्त, कथा, आरती और पूजा विधि

Nag Panchami 2025 Kab Hai: हिंदू धर्म में नाग पंचमी का पर्व सैकड़ों सालों में मनाया जा रहा है। इस दिन नागदेवता की पूजा करने की परंपरा है। नागपंचमी पर प्रमुख नाग मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

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Manish Meharele
Published : Jul 26 2025, 09:36 AM IST
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जानें नागपंचमी 2025 से जुड़ी हर बात
Image Credit : Getty

जानें नागपंचमी 2025 से जुड़ी हर बात

Nag Panchami 2025 Details: हिंदू कैलेंडर का पांचवां महीना सावन भगवान शिव को समर्पित है। इस महीने में कईं प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं, नागपंचमी भी इनमें से एक है। नाग को भगवान शिव का आभूषण भी कहा जाता है। नागराज वासुकि हमेशा भगवान शिव के गले में लिपटे रहते हैं। नाग पंचमी का पर्व हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन लोग नागदेवता की पूजा करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उन पर नागदेवता की कृपा बनी रहेगी। जानें साल 2025 में कब है नागपंचमी, इस दिन कैसे करें नागदेवता की पूजा, कौन-सा मंत्र बोलें आदि पूरी डिटेल…

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कब है नागपंचमी 2025? (Nag Panchami 2025 Date)
Image Credit : Getty

कब है नागपंचमी 2025? (Nag Panchami 2025 Date)

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा के अनुसार, इस बार सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 28 जुलाई, सोमवार की रात 11:24 से शुरू होगी, जो 29 जुलाई, मंगलवार की रात 12:46 तक रहेगी। चूंकि पंचमी तिथि का सूर्योदय 29 जुलाई को होगा, इसलिए इसी दिन नागपंचमी का पर्व मनाया जाएगा। 29 जुलाई को शिव, प्रजापति और सौम्य नाम के 3 शुभ योग रहेंगे, जिससे इस पर्व का महत्व और भी बढ़ जाएगा।

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नागपंचमी 2025 पूजा मुहूर्त (Nag Panchami 2025 Shubh Muhurat)
Image Credit : Getty

नागपंचमी 2025 पूजा मुहूर्त (Nag Panchami 2025 Shubh Muhurat)

ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा के अनुसार, नाग पंचमी पर पूजा के कई शुभ मुहूर्त रहेंगे, लेकिन सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 05:41 से 08:23 तक रहेगा। इसके अलावा दिन भर के अन्य मुहूर्त इस प्रकार हैं-
- सुबह 09:16 से 10:55 तक
- सुबह 10:55 से दोपहर 12:33 तक
- दोपहर 12:07 से 12:59 तक (अभिजीत मुहूर्त)
- दोपहर 12:33 से 02:11 तक
- दोपहर 03:49 से शाम 05:28 तक

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नाग पंचमी पूजा विधि-मंत्र (Nag Panchami Puja Vidhi-Mantra)
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नाग पंचमी पूजा विधि-मंत्र (Nag Panchami Puja Vidhi-Mantra)

- नाग पंचमी की सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि करने के बाद हाथ में जल, चावल और फूल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें।
- ऊपर बताए गए किसी भी शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की पूरी तैयारी कर लें। शुभ मुहूर्त में घर में किसी स्थान को साफ कर लें और यहां लकड़ी का एक पटिया रख दें।
- इस पटिए पर भगवान शिव का ध्यान करते हुए सोने, चांदी या तांबे से बनी नाग-नागिन के जोड़े की
प्रतिमा स्थापित करें और ये मंत्र बोलें-
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपाल धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।
- नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा का पहले गाय के दूध से अभिषेक करें, इसके बाद शुद्ध जल से। नाग देवता की प्रतिमा के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
- अब नाग प्रतिमा पर फूलों की माला अर्पित करें। एक-एक करके गंध, रोली, अबीर, गुलाल, चावल, फूल, नारियल आदि चीजें चढ़ाएं। इसके बाद दूध का भोग लगाएं।
- इस तरह पूजा करने के बाद नागदेवता की आरती करें। नाग पंचमी पर इस तरह पूजा करने से नागदेवता प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना पूरी करते हैं।

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नाग पंचमी की कथा (Nag Panchami Ki Katha)
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नाग पंचमी की कथा (Nag Panchami Ki Katha)

प्राचीन समय में पांडव वंश में जन्में राजा जनमेजय ने अपने पिता परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए नाग दाह यज्ञ किया। इस यज्ञ में हजारों सांप आकर आकर भस्म होने लगे। तब नागों की बहन जरत्कारू के पुत्र आस्तिक ने उस नाग दाह यज्ञ को रूकवाया और नागों के वंश को बचाया। आस्तिक मुनि ने नागों की पूजा भी। तभी से नाग पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है।

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नाग देवता की आरती (Nag Panchami Ki Aarti Lyrics In Hindi)
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नाग देवता की आरती (Nag Panchami Ki Aarti Lyrics In Hindi)

आरती कीजे श्री नाग देवता की,
भूमि का भार वहनकर्ता की।
उग्र रूप है तुम्हारा देवा,
भक्त सभी करते हैं सेवा।
मनोकामना पूर्ण करते,
तन-मन से जो सेवा करते।
आरती कीजे श्री नाग देवता की,
भूमि का भार वहनकर्ता की।
भक्तों के संकट हारी की,
आरती कीजे श्री नाग देवता की।
आरती कीजे श्री नाग देवता की,
भूमि का भार वहनकर्ता की।
महादेव के गले की शोभा,
ग्राम देवता में है पूजा।
श्वेत वर्ण है तुम्हारी ध्वजा,
दास ऊंकार पर रहती कृपा।
सहस्रफनधारी की,
आरती कीजे श्री नाग देवता की।
आरती कीजे श्री नाग देवता की,
भूमि का भार वहनकर्ता की।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

About the Author

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Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया में 19 साल का अनुभव, अभी एशियानेट न्यूज हिंदी के डिजिटल में काम कर रहे हैं। महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। ज्योतिष-हस्तरेखा, उपाय, वास्तु, कुंडली जैसे टॉपिक पर पकड़ है। यह जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक हैं । करियर की शुरुआत स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की। 2010 से 2019 तक दैनिक भास्कर डॉट कॉम में धर्म डेस्क पर काम किया है।
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