Janmashtami Puja Vidhi: अगस्त के महीने में जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया जाने वाला है। ऐसें में आइए जानते हैं कैसे करें लड्डू गोपाल की पूजा? भोग में क्या करें अर्पित।

Janmashtami Puja Niyam: हिंदू धर्म में जन्माष्टमी के त्योहार का अलग ही महत्व है। भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इस साल जन्माष्टमी का त्योहार 16 अगस्त के दिन धूमधाम के साथ मनाया जाने वाला है। जन्माष्टमी वाले दिन लड्डू गोपाल की पूजा जाती है। लड्डू गोपाल की पूजा करने से भक्तों की सारी इच्छाएं पूरी होती हैं। ऐसे में भगवान श्री कृष्ण की पूजा पूरे रीति-रिवाज, विधि-विधान और सभी सामग्रियों के साथ करनी चाहिए। आइए जानत हैं कैसे की जाती है लड्डू गोपाल की जन्माष्टमी के खास मौके पर पूजा।

जन्माष्टमी पूजा सामग्री

सबसे पहले ध्यान देने वाली बात ये है कि जन्माष्टमी की पूजा के लिए आपको केले के पत्ते पर विराजमान श्री कृष्ण की तस्वीर घर लानी चाहिए। वहीं, पूजा के लिए गुलाब, चावल, लाल कमल, गेंहू और भगवान के खूबसूरत वस्त्र और जेवरात भी खरीदकर रखने चाहिए। पूजा के लिए सबसे पहले आप मंदिर में लाल या फिर सफेद कपड़ा बिछाएं। वहां पर श्री कृष्ण को स्थापित करें।

जन्माष्टमी पूजा विधि

भगवान श्री कृष्ण की पूजा के लिए आप सबसे पहले एक कलश रखें और उस पर घी का दीपक जलाएं। धूप बत्ती और कपूर को भी साथ में जलाकर रखें। भगवान को कुमकुम, चंदन, केसर आदि का तिलक लगाएं। उन पर चावल, गुलाल, हल्दी आदि चढ़ाएं। साथ ही सुंदर आभूषण उन्हें पहनाएं। पान के पत्ते पर सुपारी रखकर उन्हें अर्पित करें। फूलों की माला उन्हें पहनाएं, चाहे तो तुलसी की माला भी पहना सकते हैं।

जन्माष्टमी पर भोग में क्या करें शामिल?

श्री कृष्ण का जन्मोत्सव है तो कुछ खास करना बनता है। लड्डू गोपाल को आप भोग में देसी घी, गंगाजल, मिश्री, पंचमेवा, शहद, दूध, दही आदि अर्पित कर सकते हैं। उन्हें मिठाई, लॉन्ग, फल, इलायची का भी भोग लगा सकते हैं।

क्या है जन्माष्टमी व्रत की विधि

जन्माष्मी वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। फिर भगवान श्री कृष्ण को प्रणाम करें। पूरे दिन श्री कृष्ण के साथ-साथ राधा रानी के नाम का जप करें। दिन में आप चाहे तो फल खा सकते हैं। रात को 12 बजे की पूजा से पहले फिर से स्नान करके साफ कपड़े पहने और विधि पूर्वक कान्हा जी की पूजा करें। उनकी आरती उतारकर भोग लगाएं।