Nag panchami: 29 जुलाई, मंगलवार को नागपंचमी का पर्व मनाया जाएगा। इस पर्व से जुड़ी कईं मान्यातएं और कथाएं प्रचलित है। नागपंचमी के दिन जो इससे जुड़ी कथा सुनता है, उसके जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

Nagpanchami Story In Hindi: सावन मास में भगवान शिव के साथ नागों की पूजा भी की जाती है। इस महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 29 जुलाई, मंगलवार को मनाया जाएगा। नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है, इसे लेकर कईं कथाएं प्रचलित है। जो लोग नाग पचंमी पर ये कथा सुनते हैं उन्हें सांप के काटने का भय नहीं होता और घर में भी सुख-शांति बनी रहती है। जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष हो, उन्हें ये कथा जरूर सुननी चाहिए। इससे इनके जीवन में भी चल रही परेशानियां कम हो सकती हैं। आगे जानिए नागपंचमी की कथा…

ये है नागपंचमी की कथा (Nag Panchami Ki Katha)

- नाग पंचमी की कथा के अनुसार, पुरातन समय में किसी शहर में एक धनवान व्यापारी रहता था। उसके सात बेटे थे, जिनके विवाह हो चुके थे। उनमें से सबसे छोटे बेटे की पत्नी का कोई भाई नहीं था। एक दिन व्यापारी की सभी बहुएं मिट्टी लेने के लिए खेत में गई। जब बड़ी बहू कुदाली से मिट्टी खोद रही थी, तभी वहां एक सांप निकल आया।
- सांप को देख बहुएं डर गई। बड़ी बहू ने सांप पर कुदाली से वार कर उसे घायल कर दिया। तभी छोटी बहू को उस पर दया आ गई और उसने सांप को उठाकर एक पेड़ के नीचे सुरक्षित रख दिया। इसके बाद सभी बहुएं अपने घर वापस लौट आईं। छोटी बहू के मन में उस घायल सांप को लेकर तरह-तरह के विचार आते रहे।
- अगली सुबह छोटी बहू फिर वहां गई जहां उसने सांप को रखा था। सांप तब तक ठीक हो चुका था। उपकार का बदला चुकाने के लिए सांप ने छोटी बहू को अपनी बहन बना लिया। कुछ दिनों पर वह सांप इंसानी रूप में छोटी बहू के घर गया और बोला ‘’मैं आपकी सबसे छोटी बहू का दूर का भाई हूं। उसे कुछ दिनों के लिए लेने आया हूं।’ ये जानकर घर वालों ने छोटी बहू को उसके साथ भेज दिया।
- सर्प ने अपनी बहन को आलीशान घर में रखा और उसकी हर इच्छा पूरी की। कुछ दिनों बाद सर्प ने विदाई में अपनी बहन को बहुत सारा धन और मणि का हार दिया। इस हार की प्रशंसा दूर-दूर तक फैल गई। जब ये बात उस राज्य की रानी को पता चली तो उसने वो हार छोटी बहू से ले लिया। सर्प को जब ये बात पता चली तो वह रानी के पास पहुंच गया।
- सर्प को देख रानी डर गई। सर्प ने इंसानी रूप में आकर रानी को पूरी बात सच-सच बता दी। इसके बाद रानी ने वो हार छोटी बहू को लौटा दिया। बाद में छोटी बहू ने भी सर्प को भाई बनाने की बात अपने परिवार वालों को बता दी। पूरी बात जानकर छोटी बहू के पूरे परिवार ने नाग देवता का सत्कार किया। तभी से नागपंचमी का पर्व मनाया जा रहा है।


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