सार
Apara Ekadashi Katha: ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा और अचला एकादशी कहते हैं। इस व्रत से जुड़ी एक कथा भी है। जो लोग अचला एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें इस दिन इस व्रत से जुड़ी कथा जरूर सुननी चाहिए।
Apara Ekadashi Vrat Story In Hindi: इस बार अचला एकादशी का व्रत 23 मई, शुक्रवार को किया जाएगा। इस एकादशी को अपरा एकादशी भी कहते हैं। धर्म ग्रंथों में इस व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। जो भी लोग अचला एकादशी काव्रत करते हैं उन्हें इससे जुड़ी कथा भी जरूर सुननी चाहिए, तभी उन्हें इस व्रत का संपूर्ण फल मिल सकता है। इस व्रत की कथा स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई थी। आगे जानिए क्या है अचला एकादशी व्रत की कथा…
अपरा एकादशी व्रत कथा (Apara Ekadashi Vrat Katha)
- प्रचलित कथा के अनुसार, ‘किसी समय महीध्वज नाम का एक राजा था। उसका छोटा भाई बहुत ही क्रूर और अधर्मी था। महिध्वज को उसका छोटा भाई मारना चाहते था ताकि उसके राज्य पर अधिकार कर सके। एक रात मौका पाकर उसने महिध्वज की हत्या कर दी और उसका शव पीपल के वृक्ष के नीचे गाड़ दिया।
- अकाल मृत्यु होने के कारण महीध्वज की आत्मा उसी पीपल के पेड़ पर रहने लगी और आने-जाने वाले लोगों को परेशान करने लगी। एक बार जब धौम्य नाम के एक ऋषि उस वृक्ष के पास से गुजरे तो उन्हें महिध्वज की आत्मा भटकती हुई दिखाई दी। महिध्वज ने उन्हें अपनी मृत्यु का कारण बताया।
- धौम्य ऋषि ने उपदेश देकर महिध्वज की आत्मा को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाई और उसकी शांति के लिए स्वयं ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत किया, जिसे अचला एकादशी कहते हैं।इस व्रत के प्रभाव से महिध्वज की आत्मा को मोक्ष मिला औ वह स्वर्ग को चली गई।
कब करें अचला एकादशी व्रत का पारणा? (Apara Ekadashi 2025 Parna Shubh Muhurat)
अचला एकादशी का व्रत 23 मई, शुक्रवार को किया जाएगा। इसके अगले दिन यानी 24 मई, शनिवार को इस व्रत का पारणा किया जाएगा। पारणा का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 26 मिनिट से शुरू होगा जो 08 बजकर 11 मिनिट तक रहेगा। व्रत का पारणा के लिए ब्राह्मओं को भोजन करवाएं और दान देकर संतुष्ट करें। इसके बाद ही स्वयं भोजन करें।
Disclaimer
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