सार
Who was Chalapati: चलपति, नक्सल आंदोलन का एक ऐसा नाम, जो अपने असली पहचान के लिए कम और खतरनाक रणनीतियों के लिए ज्यादा जाना जाता था। हालांकि, बताया जाता है कि उसका असली नाम जयराम रेड्डी था लेकिन इस शातिर माओवादी लीडर को कोई अप्पाराव कहता, तो कोई रामचंद्र रेड्डी तो कोई रामू नाम से पुकारता। अपने कोर ग्रुप में वह चलपति के नाम से मशहूर था। इस कुख्यात माओवादी के सिर पर सरकार ने एक करोड़ रुपये का इनाम रखा था। छत्तीसगढ़ के जंगलों में सुरक्षाबलों ने 19 अन्य नक्सलियों के साथ उसे मारने का दावा किया जा रहा है। इस ऑपरेशन को नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी सफलता माना जा रहा है। हालांकि, चलपति मारा गया है या नहीं, अभी तक इसको लेकर संदेह है।
कौन था चलपति?
आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के मदनपल्ले का रहने वाला जयराम रेड्डी (60) माओवादी संगठन का एक बड़ा नाम था। हाईस्कूल तक पढ़ाई करने के बाद उसने वामपंथी विचारधारा अपनाई और धीरे-धीरे नक्सल आंदोलन से जुड़ गया। उसकी गहरी समझ और प्लानिंग के चलते वह माओवादी संगठन की केंद्रीय समिति (CCM) का अहम सदस्य बना। चलपति ने कई बड़े और संवेदनशील ऑपरेशन्स को अंजाम दिया।
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जंगल का रहस्यमयी मास्टरमाइंड
चलपति को बस्तर के घने जंगलों की गहरी समझ थी। वह जंगलों के एक-एक रास्ते से वाकिफ तो था ही आहट से ही दुश्मन की चाल समझने में माहिर था। उसकी सुरक्षा में एक दर्जन के आसपास बेहद खूंखार लड़ाके हमेशा अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्र से लैस रहते थे। सशस्त्र लड़ाकों की टीमों को वह हर समय अलर्ट रखता था। उसकी टीम के पास अत्याधुनिक हथियार जैसे एके-47 और एसएलआर राइफल्स थीं। हालांकि, सुरक्षाबलों की सख्ती के चलते उसने अबूझमाड़ छोड़कर गरियाबंद-ओडिशा बॉर्डर पर अपना नया ठिकाना बना लिया था।
कैसे हुआ खात्मा?
खुफिया जानकारी के आधार पर सुरक्षाबलों ने छत्तीसगढ़ के कुलारीघाट रिजर्व फॉरेस्ट में ऑपरेशन शुरू किया। जिला रिजर्व गार्ड, सीआरपीएफ, कोबरा कमांडो और ओडिशा के विशेष ऑपरेशन ग्रुप की संयुक्त टीम ने इस अभियान को अंजाम दिया। बताया जा रहा है कि गोलीबारी में चलपति और उसके साथी ढेर हो गए। हालांकि, अभी उसकी पहचान नहीं हो सकी है। मुठभेड़ स्थल से सेल्फ-लोडिंग राइफल, गोला-बारूद और बम बरामद हुए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस ऑपरेशन को नक्सलवाद के खिलाफ एक बड़ा झटका बताया। उन्होंने कहा: नक्सल मुक्त भारत के संकल्प की दिशा में यह बड़ी उपलब्धि है। नक्सलवाद अब अपने आखिरी दौर में है।
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